रांची, 27सितम्बर (वार्ता) झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने आज सुप्रीम कोर्ट में एक फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है।

सर्वोच्च न्यायालय के 1 सितंबर 2025 के निर्णय ने निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत 2010 से पहले नियुक्त एवं सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य कर दिया है। इस आदेश ने झारखंड सहित पूरे देश के लाखों शिक्षकों को झकझोर कर रख दिया है, क्योंकि नियम को पीछे की तिथि से लागू करने के कारण शिक्षक वर्ग में भारी असंतोष फैल गया है।

इसके विरोध स्वरूप अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने आज सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है।

संघ ने अपनी याचिका में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के 2010 की अधिसूचना और अन्य प्रचलित कानूनों के प्रकाश में इस आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है। संघ के अध्यक्ष अनूप केसरी और महासचिव राम मूर्ति ठाकुर ने कहा कि न्यायालय ने भारत सरकार और झारखंड सरकार द्वारा स्थापित नियमों के विपरीत फैसला दिया है। उन्होंने सरकारों से भी इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग की है ताकि लाखों शिक्षकों की सेवा और उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ इस विषय में राष्ट्रीय स्तर पर अन्य राज्यों के शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर व्यापक आंदोलन चलाएगा। इस दिशा में पांच अक्टूबर को नई दिल्ली में झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के शिक्षक प्रतिनिधि एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे, जिसमें आगे की रणनीति बनाकर सरकारों पर दबाव बनाया जाएगा।

वहीं, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर सहित कई राज्यों ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है और अन्य राज्य भी ऐसा करने की योजना बना रहे हैं। इस क्रम में झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि झारखंड सरकार पर भी दायित्व बनता है कि वह अपने शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए शीघ्रता से रिव्यू पिटिशन दायर करे।

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