बैतूल , नवम्बर 10 -- मध्यप्रदेश बैतूल जिले में समर्थन मूल्य पर ज्वार खरीदी के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। कलेक्टर को मिली शिकायत के बाद हुई जांच में खुलासा हुआ कि खरीदी के लिए पंजीकृत 1169 किसानों में से केवल 25 किसानों के खेतों में वास्तव में ज्वार बोई गई थी, जबकि बाकी 1144 किसानों के खेतों में ज्वार का कोई अता-पता नहीं मिला।
प्रशासनिक जांच से यह तथ्य सामने आया है कि कुछ व्यापारी और रसूखदार लोगों ने महाराष्ट्र से सस्ती ज्वार (1700 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल) खरीदकर उसे बैतूल में सरकारी समर्थन मूल्य 3699 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचने की साजिश रची थी। इसके लिए बटाई या सिकमी किसानों के नाम पर फर्जी पंजीयन कराए गए थे। कई असली किसानों को यह तक जानकारी नहीं थी कि उनके नाम से खरीदी के लिए पंजीयन करा दिया गया है।
जिले में 5234 हेक्टेयर रकबे पर ज्वार बोई जाने का दावा किया गया था, जबकि कृषि विभाग के रिकॉर्ड में वास्तविक खेती केवल 1500 हेक्टेयर में दर्ज थी। यदि यह फर्जी खरीदी पूरी हो जाती तो सरकार को लगभग 60 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होता। औसतन 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मानें तो करीब 3.6 लाख क्विंटल ज्वार खरीदी जाती, जिससे बाजार और समर्थन मूल्य के अंतर के कारण भारी नुकसान संभावित था।
ब्लॉकवार जांच में भैंसदेही, घोड़ाडोंगरी, भीमपुर, आठनेर, शाहपुर और बैतूल ब्लॉकों में सबसे अधिक फर्जी पंजीयन पाए गए। बैतूल तहसीलदार जी.डी. पाठे ने बताया कि उनके क्षेत्र में 290 किसानों के पंजीयन हुए थे, लेकिन जांच में सिर्फ दो किसान ही वास्तविक पाए गए। बाकी जगह ज्वार की फसल बोई ही नहीं थी। पहले चरण में 50 प्रतिशत पंजीयन सही माने गए थे, पर पुनः जांच में अधिकांश फर्जी निकले।
जिला खाद्य अधिकारी के.के. टेकाम ने बताया कि खरीदी प्रक्रिया के तहत गिरदावरी (खेती का रिकॉर्ड) के बाद डेटा ई-उपार्जन पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। इसके बाद किसान दस्तावेज जमा कर पंजीयन कराते हैं और राजस्व विभाग द्वारा सत्यापन होता है। इस मामले में गिरदावरी में ही गड़बड़ी हुई और वहीं से गलत डेटा पोर्टल पर गया। जांच में 25 किसानों को छोड़कर सभी फर्जी पाए गए।
अब तक फूड विभाग ने तहसीलदारों को कोई औपचारिक पत्र नहीं भेजा है और न ही किसी थाने में एफआईआर दर्ज हुई है। सूत्रों के अनुसार विभागीय स्तर पर इस घोटाले को दबाने की कोशिश की जा रही है। वहीं असली किसानों ने मांग की है कि जिन बटाईदारों या एजेंटों के नाम पर पंजीयन हुआ है, उनके बैंक खातों और एग्रीमेंट की जांच कराई जाए ताकि असली सच्चाई सामने आ सके।
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