अगरतला, सितंबर 27 -- त्रिपुरा के कृषि और किसान कल्याण मंत्री रतनलाल नाथ ने शनिवार को कहा कि राज्य जैविक खेती के जरिए मशरूम उत्पादन में आत्म निर्भर बनें और सरकार इसके लिए प्रयासरत है।

श्री नाथ ने किसान-उत्पादक कंपनी (एफपीसी) के प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में एफपीसी की संख्या तेजी से बढ़कर 53 हो गई है, जबकि 2018 से पहले यह केवल चार थी। उन्होंने कहा कि मशरूम सिर्फ भोजन का स्रोत नहीं है बल्कि यह विटामिन डी, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर एक सुपरफूड है। यह एक अहम कृषि उत्पाद है। बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक और तमिलनाडु मशरूम की खेती में आगे हैं।

उन्होंने कहा कि त्रिपुरा ने हालांकि दूध, चावल, मछली और अंडों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है, लेकिन मशरूम के मामले में अभी भी उसे और आगे जाना है। एफपीसी के सहयोग से लगभग 26,000 हेक्टेयर भूमि को जैविक फसल की खेती के लिये समर्पित करने के बाद जैविक मशरूम की खेती के लिये यह पहली पहल थी।

उन्होंने चार अहम क्षेत्र कृषि-संबद्ध, पर्यटन और व्यापार, वन और ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा माना जाता था यहां प्याज उत्पादन नहीं हो सकता, लेकिन किसानों ने दिखा दिया है कि त्रिपुरा प्याज उत्पादन में सक्षम है।

श्री नाथ ने कहा , "पिछले साल प्याज की अच्छी फसल हुई। अब मशरूम की खेती आर्थिक बदलाव की प्रेरक शक्ति बन रही है। हमने एफपीसी के सामने आने वाली चुनौतियों का भी समाधान किया है। अब तक हमने 56 टन जैविक चावल, 579 टन अदरक, 53 टन हल्दी, 680 टन अनानास और 4.5 टन मिर्च का अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात किया है।

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