जैतू, नवंबर 13 -- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की याद में जैतू में स्मारक बनाने की घोषणा के 37 साल बाद भी सरकार यह स्मारक नहीं बना पाया है।

इक्कीस सितंबर 1988 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जैतू में उस कोठरी को देखने आये थे, जिसमें पंडित नेहरू को नजरबंद रखा गया था। श्री गांधी ने उस स्थान पर राष्ट्रीय स्मारक के लिए 20 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। कहा जाता है लेकिन केंद्र सरकार ने यह राशि पंजाब सरकार को भेजी थी, लेकिन यह रुपया कहा गया, इसका कुछ पता आज तक नहीं चला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सितंबर 2008 में अपने पंजाब दौरे के दौरान इस सेल का दौरा किया था। यह सेल जैतू पुलिस स्टेशन के पास स्थित है।

शायद चंद लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पहली राजनीतिक गिरफ्तारी पंजाब के जिला फरीदकोट के जैतू में हुई थी। नौनिहालों के प्यारे चाचा जवाहरलाल नेहरू, के संथानम और ए टी गिडवानी को जैतू में 1923 में कैद करके रखा गया था। तीनों कांग्रेसी नेता, 1923 के कांग्रेस अधिवेशन में इस मोर्चे के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित होने के बाद, अकालियों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ शुरू किये गये 'जैतू का मोर्चा' में भाग लेने के लिए जैतू पहुंचे थे। उन्हें पार्टी द्वारा राजनीतिक घटनाक्रम की जानकारी लेने के लिए भेजा गया था। नगर में पहुंचते ही ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। तेईस सितम्बर 1923 को एक दिन जेल में रहने के बाद, कांग्रेस नेताओं को नाभा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया, जब अदालत ने तीन अक्टूबर को उन्हें दो वर्ष की जेल की सजा सुनाई। पंडित नेहरू ने अपनी इस गिरफ्तारी का जिक्र अपनी आत्मकथा में इस तरह किया है, " संथानम तथा मुझे इकठ्ठी हथकड़ी लगी थी, गिडवानी भी हमारे साथ था। हथकड़ी लगा कर जैतो की गलियों में हमें इस प्रकार ले जाया जा रहा था जैसे जंजीर के साथ बंधे कुत्ते को खींचा जाता हैं। "आजादी के बाद अधिकतर राज्यों में कांग्रेस ने काफी सालों तक शासन किया, लेकिन हैरानी की बात है कि केंद्र की कांग्रेस सरकार एवं पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पंडित नेहरू की याद में जैतू में कोई स्मारक नहीं बनाया। राज्य की कांग्रेस सरकारों ने उस जगह एक राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा की, जहां पंडित नेहरू को नजरबंद कर रखा, लेकिन यह सिर्फ घोषणा ही रही।

पंजाब सरकार ने जैतू के ऐतिहासिक किले को गिराकर वहां एक थाना बना दिया है, लेकिन जिस कमरे में चाचा नेहरू को नजरबंद रखा गया था। उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है। यह जगह जीर्ण-शीर्ण हालत में है।

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