नयी दिल्ली , नवंबर 18 -- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने मंगलवार को देश में बढ़ते स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) पर पहली राष्ट्रीय कार्ययोजना में पहचानी गई कमियों को दूर करते हुए सरकार की इस योजना का दूसरा संस्करण लॉन्च किया।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध, एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें रोगजनक बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक दवायें असर नहीं करती जिसके चलते हर साल लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले महीने इस चिंताजनक रुझानों पर प्रकाश डाला था। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि प्रयोगशाला में पाया गया कि छह में से एक जीवाणु संक्रमण एंटीबायोटिक उपचारों के प्रति प्रतिरोधी है। इस अवसर पर श्री नड्डा ने दवाओं का अधिक जिम्मेदारी से उपयोग करने का आह्वान किया।

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर वैश्विक शोध (जीआरएएम) परियोजना के शोध निष्कर्षों के अनुसार, सिर्फ भारत में 2019 में जीवाणु एएमआर के कारण 3 से 10.4 लाख लोगों की मृत्यु हुई।

पिछली योजना की कमियों को दूर करते हुए नवीनतम संस्करण में मानव, पशु, कृषि और पर्यावरण सहित कई क्षेत्रों में एंटीबायोटिक दवाओं के बड़े पैमाने पर उपयोग के कारण अंतर-क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा देने पर केंद्रित किया जायेगा।

डब्ल्यूएचओ के 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण को अगली कार्ययोजना में एकीकृत करने और एएमआर की बहुक्षेत्रीय प्रकृति को देखते हुए सरकार ने 2022 में एनएपी-एएमआर 2.0 विकसित करना शुरू किया। इस प्रक्रिया में मानव स्वास्थ्य और अनुसंधान क्षेत्रों, पेशेवर संघों, नागरिक समाज संगठनों, और पर्यावरण एवं पशुपालन क्षेत्रों में हितधारकों के साथ कई परामर्श शामिल थे।

श्री नड्डा ने बताया कि नई योजना निजी क्षेत्र के साथ जुड़ाव बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। उन्होंने एएमआर के प्रसार को रोकने के लिए प्रमुख रणनीतियों के रूप में जागरूकता, शिक्षा और प्रशिक्षण बढ़ाने के महत्व पर भी ज़ोर दिया।

श्री नड्डा ने कहा कि एएमआर गंभीर जोखिम पैदा करता है, खासकर शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं, कैंसर के उपचार और अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा के उपचार में। उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं का अति प्रयोग और दुरुपयोग आम बात हो गई है, जिससे सुधारात्मक उपायों की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

श्री नड्डा ने संक्रमण की वृद्धि को रोकने के लिए प्रयोगशाला क्षमता का विस्तार करने और स्वास्थ्य सुविधाओं में संक्रमण नियंत्रण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

भारत सरकार ने 2010 में एएमआर को राष्ट्रीय प्राथमिकता मानते हुए, एएमआर नियंत्रण पर एक राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया। एक वर्ष के भीतर, 2011 में एएमआर नियंत्रण पर राष्ट्रीय नीति लागू की गई।

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