जोहान्सबर्ग , नवंबर 22 -- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जी-20 शिखर सम्मेलन के बॉयकॉट और इस पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा की गहरी नाराजगी के बीच शनिवार को शिखर सम्मेलन धूमधाम से शुरू हुआ।
दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का यह दो दिवसीय सम्मेलन पहली बार दक्षिण अफ्रीका में हो रहा है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोआन, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेर लेयेन, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़, चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, जर्मनी के चांसलर फ्रीडरिष मेर्ज़, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा आदि शामिल हो रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने दक्षिण अफ्रीका की सरकार पर लगे उन आरोपों के विरोध में समिट का बॉयकॉट किया है, जिनमें कहा गया था कि वह अपनी श्वेत अल्पसंख्यक जनता पर ज़ुल्म करती है। दक्षिण अफ्रीका ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। अमेरिका ने समिट में होने वाली चर्चाओं में जलवायु परिवर्तन या नवीकरणीय ऊर्जा का कोई भी ज़िक्र नहीं पर भी आपत्ति जताई है।
श्री रामफोसा ने गुरुवार को कहा था कि अमेरिका ने आखिरी समय में संभावित भागीदारी पर चर्चा के लिए दक्षिण अफ्रीका से संपर्क किया था। उन्होंने इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दी।
हालांकि, अमेरिकी प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने कहा कि अमेरिका के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है और श्री रामफोसा "बकवास कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी नेता के बयान अमेरिकी राष्ट्रपति या उनकी टीम को पसंद नहीं आए।
खास बात यह है कि जी-20 का संस्थापक सदस्य अमेरिका 2026 में जी-20 की अध्यक्षता करेगा। सुश्री लेविट ने कहा कि अमेरिका हैंडओवर सेरेमनी के लिए एक अधिकारी भेजेगा।
राष्ट्रपति रामफोसा ने पलटवार करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका अध्यक्षता किसी अधिकारी को देने की बजाय एक 'खाली कुर्सी' सौंप देगा। अध्यक्षता आम तौर पर राज्याध्यक्ष को ही सौंपी जाती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जी-20 का सदस्य है। वह जी-20 के मूल सदस्य हैं और उन्हें समिट में शामिल होने का पूरा अधिकार है।
अपने उद्घाटन भाषण में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने सम्मेलन के महत्व पर ज़ोर दिया, जो जलवायु परिवर्तन, विकासशील देशों पर कर्ज़ का बोझ और वैश्विक संपदा असमानता जैसे मुद्दों पर केंद्रित है।
उन्होंने कहा, "हमें किसी भी कीमत पर अफ्रीकी जी-20 अध्यक्षता की गरिमा, प्रतिष्ठा और प्रभाव को कम नहीं होने देना चाहिए।"रामफोसा ने भरोसा जताया कि अमेरिका के बॉयकॉट के बावजूद सम्मेलन सफलतापूर्वक आगे बढ़ेगा और कहा, "उनकी अनुपस्थिति में उनका नुकसान है।"यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेर लेयेन ने अमेरिकी बॉयकॉट पर प्रतिक्रिया देते हुए जी-20 साझेदारी के महत्व पर ज़ोर दिया और सम्मेलन से पहले दक्षिण अफ्रीका के साथ एक नए महत्वपूर्ण खनिज समझौते की घोषणा की। यह कदम अफ्रीका के साथ संबंधों को मज़बूत करने की यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति में चीन के प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मेर्ज़ और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ सहित विश्व नेताओं ने वैश्विक सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। अल्बनीज़ ने जी-20 देशों पर ऑस्ट्रेलिया की व्यापार निर्भरता का ज़िक्र करते हुए जी-20 के महत्व पर बल दिया।
प्रधानमंत्री मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को सम्मेलन के इतर एक द्विपक्षीय बैठक की। बातचीत मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों -रक्षा व सुरक्षा, नाभिकीय ऊर्जा और व्यापार-पर केंद्रित रही।
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