बीजापुर , नवंबर 06 -- छत्तीसगढ में बीजापुर के सर्व आदिवासी समाज ने जिला खनिज न्यास निधि (डीएफएम) के उपयोग को केवल खदान क्षेत्र से 25 किलोमीटर के दायरे तक सीमित रखने के निर्णय का विरोध किया है। समाज ने इसे बीजापुर जैसे अति पिछड़े, नक्सल प्रभावित और जनजातीय बहुल जिले के साथ घोर अन्याय बताया है तथा डीएमएफ फंड के उपयोग की सीमा पूरे जिले तक बढ़ाने की मांग की है।

जिला अध्यक्ष जग्गूराम तेलामी ने गुरुवार को कहा, "बीजापुर खनिज संपदा से समृद्ध होने के बावजूद विकास की दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा जिला है। खनिज संपदा का लाभ केवल खदान क्षेत्र तक सीमित रखना तर्कसंगत नहीं है। भोपालपट्टनम, उसूर, भैरमगढ़ और बीजापुर ब्लॉक सहित सुदूर ग्रामों तक भी यह फंड पहुँचना चाहिए ताकि बुनियादी सुविधाएँ विकसित की जा सकें।"उन्होंने कहा कि डीएमएफ की स्थापना का मूल उद्देश्य खनिज उत्खनन से प्रभावित समुदायों का सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यावरणीय क्षति की भरपाई करना था लेकिन वर्तमान में इसका लाभ केवल चुनिंदा क्षेत्रों तक सीमित रह गया है।

सर्व आदिवासी समाज ने राज्य शासन से मांग की है कि बीजापुर की विशेष परिस्थितियों नक्सल प्रभावितता, जनजातीय बहुलता और अविकसित आधारभूत संरचना को देखते हुए डीएमएफ नियमों में संशोधन किया जाए और पूरे जिले की पंचायतों एवं विकासखंडों में निधि के उपयोग की अनुमति प्रदान की जाए।

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