नयी दिल्ली , नवंबर 17 -- उच्चतम न्यायालय ने जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सुरक्षा के लिए कई दूरगामी संरक्षण निर्देश जारी किये हैं।

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटन पूरी तरह से 'इको पर्यटन' होना चाहिए और पर्यावरण की कीमत पर आर्थिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जा सकती है। न्यायालय ने उन विशिष्ट गतिविधियों को सूचीबद्ध किया है जो रिजर्व के आसपास के बफर ज़ोन और जलग्रहण क्षेत्रों में प्रतिबंधित रहेंगी। इनका उद्देश्य इन नाज़ुक पारिस्थितिकीय तंत्रों में मानवीय हस्तक्षेप को कम से कम करना है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि उत्तराखंड सरकार को संरक्षित क्षेत्र में हुयी अवैध वृक्ष कटाई की भरपाई के लिए ठोस उपाय करने चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश ने अपने परिवारों से दूर कार्यरत अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों की कठिन कार्य स्थितियों का उल्लेख करते हुए निर्देश दिया कि इन कर्मचारियों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जिसमें वन शिविरों में उन्नत बुनियादी ढाँचा शामिल है। न्यायालय ने आदेश दिया कि वन शिविरों में स्वच्छ पेयजल और अन्य आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए ताकि अभयारण्य की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार लोगों को पर्याप्त सहायता मिले सके। न्यायालय के संरक्षण-केंद्रित निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मामले की निगरानी जारी रहेगी।

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