नयी दिल्ली , अक्टूबर 09 -- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि डिजिटल इस्तेमाल के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को ज़िम्मेदारी तथा नैतिकता के साथ बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
श्री बिरला ने बारबाडोस में 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) सम्मेलन में कहा कि सहयोग और ज्ञान-साझा किया जाना चाहिए और इसको बांटने में जब प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो तो उस समय जिम्मेदारी और नैतिकता के साथ इसका प्रयोग करना चाहिये। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रौद्योगिकी एक सेतु के रूप में काम करे और वह किसी भी स्तर पर कहीं कोई बाधा न बने।
उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति और ई-संसद के प्रयोग ने हमारे संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ई-संसद ई-लोकतंत्र को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और इससे नागरिकों की भागीदारी भी बढ़ रही है। उनका कहना था किएआई-आधारित डिजिटल प्रणालियाँ भारत की संसदीय प्रक्रियाओं को लगातार और अधिक कुशल और समावेशी बना रही हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र तब सबसे मज़बूत होता है जब नागरिक अपनी संसद से गहराई से जुड़े होते हैं और इसमें जुड़ाव को ज्यादा मज़बूत करने में तकनीकी अहम भूमिका निभाती है। उनका कहना था कि भारतीय संसद की यात्रा पारंपरिक संसदीय प्रणाली से ई-संसद तक की कार्यप्रणाली और लोगों की आकांक्षाओं के प्रति जवाबदेही के लिहाज़ से अभूतपूर्व रही है।
उन्होंने भारतीय संसद में किए गए विभिन्न डिजिटल नवाचारों का उल्लेख करते हुए कहा "डिजिटल संसद" पहल के तहत हमारी संसद ने एकीकृत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है जो संसद सदस्यों, मंत्रालयों और नागरिकों को एक ही डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से जोड़ता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह बदलाव लोकतांत्रिक शासन में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है और यह विधायी प्रक्रियाओं को मज़बूत करने तथा नागरिकों की गहरी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी क्षमता का पूर्णरूप से दोहन करता है।
श्री बिरला ने कहा कि भारत की संसद निकट भविष्य में, 'संसद भाषिणी' जैसी वास्तविक समय एआई अनुवाद प्रणाली शुरु कर रही है जिसके माध्यम से संसद के प्रत्येक सदस्य को अपनी भाषा में बात करने की सुविधा होगी और उसका एआई 'संसद भाषिणी' उसी समय अनुवाद उपलब्ध करा देगी।
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