नयी दिल्ली , नवंबर 08 -- भारत ने जलवायु संरक्षण की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा है कि विकसित देशों को उत्सर्जन में कमी करने के उपाय तेज कर समान कार्रवाई के सिद्धांत को अपनाते अपनी भौगोलिक तथा अन्य परिस्थतियों के अनुरूप जलवायु संरक्षण की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।

ब्राजील के बेलेम में कॉप-30 देशों के नेताओं के शिखर सम्मेन में ब्राज़ील में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने समतामूलक जलवायु कार्रवाई के प्रति दुनिया के समक्ष भारती प्रतिबद्धता दोहराई है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन-यूएनएफसीसीसी के 30वें सम्मेलन कॉप-30 का आयोजन 10 से 21 नवंबर तक ब्राज़ील के बेलेम में आयोजित किया जा रहा है।

श्री भाटिया ने कहा कि भारत ने पेरिस समझौते की 10वीं वर्षगांठ पर कॉप-30 की मेजबानी के लिए ब्राज़ील का आभार व्यक्त किया और रियो शिखर सम्मेलन की 33 वर्षों की विरासत को याद किया। भारत के बयान में कहा गया है कि यह ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया पर विचार करने तथा रियो शिखर सम्मेलन की विरासत का जश्न मनाने का अवसर है , जहाँ समता और विभेदित उत्तरदायित्वों और संबंधित क्षमताओं-सीबीडीआर-आरसी के सिद्धांतों को अपनाया गया था। इस सिद्धांत ने पेरिस समझौते सहित अंतर्राष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था की नींव रखी।

भारत के वक्तव्य में बताया गया है कि 2005 से 2020 के बीच, भारत ने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 36 प्रतिशत कम की है और यह प्रवृत्ति जारी है। वक्तव्य में कहा गया है कि गैर-जीवाश्म ऊर्जा अब हमारी स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक है, जिससे देश संशोधित एनडीसी लक्ष्य को निर्धारित समय से पाँच वर्ष पहले प्राप्त कर सकेगा।

श्री भाटिया ने कहा कि भारत ने उष्णकटिबंधीय वनों के संरक्षण के लिए सामूहिक और सतत वैश्विक कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में इसे मान्यता देते हुए उष्णकटिबंधीय वनों के लिए सदैव सुविधा स्थापित करने की ब्राजील की पहल का स्वागत किया और पर्यवेक्षक के रूप में इस सुविधा में शामिल हो गया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित