लखनऊ , नवम्बर 20 -- उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर 2600 वर्ष बाद भी पूरी दुनिया को उतनी ही आध्यात्मिक गहराई से आकर्षित कर रही है। कुशीनगर बौद्ध धर्म के चार प्रमुख पवित्र स्थलों में शामिल है और यहां स्थित भगवान बुद्ध की विश्वविख्यात लेटी हुई प्रतिमा विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनी हुई है।
पर्यटन मंत्री ने गुरुवार को बताया कि सिद्धार्थनगर स्थित भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेष की 127 वर्ष बाद भारत वापसी से वैश्विक बौद्ध समुदाय में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है। भारत सरकार के प्रयासों से संभव हुई इस ऐतिहासिक घटना का सकारात्मक प्रभाव पर्यटन पर भी दिख रहा है।
पर्यटन मंत्री के अनुसार जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच 19,90,931 पर्यटक कुशीनगर पहुंचे, जिनमें 17,76,247 घरेलू और 2,14,684 विदेशी पर्यटक शामिल रहे। अनुमान है कि वर्षांत तक यह आंकड़ा 25 लाख को पार कर जाएगा।
उन्होंने बताया कि साल 2024 में कुल 22,42,913 पर्यटक कुशीनगर आए थे, जिनमें 2,51,251 विदेशी शामिल रहे। वर्ष 2017 में यह संख्या मात्र 9,37,981 थी, जिनमें केवल 76,221 विदेशी पर्यटक थे। मंत्री ने कहा कि यह बढ़ोतरी प्रदेश सरकार के प्रयासों और बौद्ध सर्किट विकास की व्यापक रणनीति का परिणाम है।
गौरतलब है कि पर्यटन विभाग ने हाल के वर्षों में पैसिफिक एशिया ट्रैवल एसोसिएशन, जापान टूरिज्म एक्सपो, आईएफटीएम टॉप रेसा और वर्ल्ड ट्रैवल मार्केट लंदन जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुशीनगर और यूपी के बौद्ध सर्किट को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। वहीं थाईलैंड, श्रीलंका, वियतनाम, जापान, म्यांमार, भूटान, कंबोडिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे बौद्ध बहुल देशों के टूर ऑपरेटरों, भिक्षुओं और मीडिया प्रतिनिधियों के लिए पर्यटन विभाग विशेष फैम ट्रिप आयोजित करता रहा है। इन यात्राओं के माध्यम से बौद्ध स्थलों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व को वैश्विक समुदाय तक पहुंचाया जा रहा है।
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