फगवाड़ा , अक्टूबर 09 -- गुजरात के सूरत में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में गुरुवार को शहर के प्रदूषित जल के शुद्धिकरण और पुन: उपयोग पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गयी। बैठक में शामिल राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि देश की किसी भी नदी को सक्रिय जनभागीदारी के बिना साफ नहीं किया जा सकता।
यहां जारी विज्ञप्ति अुनसार, पवित्र बेईं नदी पर सात मिनट का एक वीडियो प्रस्तुत करते हुए संत सीचेवाल ने कहा कि जब तक नदी की सफाई के लिए जन आंदोलन नहीं चलाया जाता, तब तक कोई भी नदी पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि गंगा की सफाई के लिए 20,000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट आवंटित होने के बावजूद, इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी, यह राष्ट्रीय नदी अभी भी प्रदूषित है। उन्होंने बताया कि पांच राज्यों के 1,657 गांवों की पंचायतों ने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के तरीके जानने के लिए 'सीचेवाल मॉडल' का अध्ययन किया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी उमा भारती, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, सभी ने अपशिष्ट जल उपचार की इस परियोजना को समझने में गहरी रुचि दिखायी।
संत सीचेवाल ने बताया कि गुरु नानक देव के चरणों से पवित्र 165 किलोमीटर लंबी पवित्र बेईं को श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से साफ़ किया था। श्रद्धालुओं ने बिना पीछे मुड़े 25 वर्षों तक यह अभियान जारी रखा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यमुना जैसी नदियों और भारत की अन्य सभी प्रदूषित नदियों को साफ़ किया जा सकता है, बशर्ते इच्छाशक्ति, उचित नीति और नेक इरादे हों।
चर्चा के दौरान, उत्तर प्रदेश और बिहार के सांसदों ने भी चिंता व्यक्त की कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, गंगा अभी भी प्रदूषित है। 2050 तक सूरत की अनुमानित जनसंख्या वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, शहर ने अपने सभी सीवेज जल को उपचारित और पुनः उपयोग करने का लक्ष्य रखा है।
बैठक के बाद, सभी सांसदों ने सूरत के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया और जाना कि कैसे शहर उपचारित पानी के पुन: उपयोग से सालाना 160 करोड़ रुपये कमाता है। केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने गर्व से कहा कि सिंगापुर के बाद, सूरत दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर है जो अपने शत-प्रतिशत सीवेज जल का उपचार करता है। मंत्री पाटिल ने सभी सांसदों को सम्मानित किया।
चर्चा के दौरान, राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि उन्होंने 1999 में ही उपचारित जल के पुन: उपयोग के विचार को सफलतापूर्वक लागू कर दिया था। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 26 साल पहले किये गये इस प्रयोग को अब पूरे देश में गंभीरता से अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि जहां एक ओर दुनिया जल संकट की ओर बढ़ रही है, वहीं जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है, जिससे मौसम के मिजाज़ में भारी बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में आयी बाढ़ को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
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