जगदलपुर , नवंबर 17 -- बस्तर क्षेत्र में शांति, पुनर्वास और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए जगदलपुर के पूना मारगेम परिसर में सोमवार को पंडुम कैफ़े का भव्य उद्घाटन किया गया। यह कैफ़े न सिर्फ एक कॉफी शॉप है, बल्कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित लोगों के नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक बनकर उभरा है। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया।
सरकार और बस्तर पुलिस की संयुक्त पहल पर आधारित यह कैफ़े पुनर्वास नीति के अंतर्गत एक आजीविका मॉडल के रूप में तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य दो समूहों को मुख्यधारा में सम्मानपूर्वक जोड़ना है नक्सल हिंसा के पीड़ित और वे माओवादी कैडर जिन्होंने हिंसा छोड़कर समाज में सकारात्मक बदलाव का रास्ता चुना है। पंडुम कैफ़े में कुल 13 लाभार्थियों को रोजगार मिला है, जिनमें 5 समर्पित माओवादी कैडर और 8 नक्सल हिंसा के पीड़ित शामिल हैं। विशेष रूप से इनमें 8 महिलाएँ हैं, जिससे यह पहल और अधिक सशक्त बनती है।
उद्घाटन कार्यक्रम में वन मंत्री केदार कश्यप, शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव, सांसद महेश कश्यप, विधायक किरण देव, महापौर संजय पांडेय, कमिश्नर डोमन सिंह, आईजी बस्तर सुन्दरराज पट्टलिंगम, कलेक्टर हरिस एस और एसपी शलभ सिन्हा सहित अनेक अधिकारी उपस्थित रहे।
आईजी सुन्दरराज पट्टलिंगम ने बताया कि पंडुम कैफ़े का उद्देश्य पुनर्समावेशित युवाओं को हॉस्पिटैलिटी और कैफ़े प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। "जो हाथ कभी हथियार उठाते थे, वे अब सेवा और मुस्कान के साथ नया भविष्य गढ़ रहे हैं" यह संदेश कैफ़े की स्थापना के मूल में है। पंडुम नाम बस्तर की सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है और इसकी टैगलाइन "Where every cup tells a story" परिवर्तन और उम्मीद का दर्पण है।
यह कैफ़े न केवल आर्थिक रूप से पुनर्वासित युवाओं को स्थिरता देगा, बल्कि सामाजिक समावेश, संवाद और पुनर्मिलन का मंच भी बनेगा। प्रशासन का मानना है कि यह मॉडल भविष्य में शांति निर्माण की दिशा में एक पुनरुत्पादित होने योग्य उदाहरण साबित होगा। पंडुम कैफ़े के शुभारंभ के साथ बस्तर ने शांति, विकास और मानवीय पुनर्वास का एक नया अध्याय शुरू किया है, जहाँ हर कप के साथ नई उम्मीद और नई कहानी जन्म ले रही है।
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