पटना , अक्टूबर 13 -- बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जब्त नकदी और बहुमूल्य वस्तुओं से संबंधित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए जिला स्तर पर त्रि- सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
यह समिति निर्वाचन आयोग के निर्देश पर गठित की गई है और इसका मुख्य उद्देश्य अनावश्यक रूप से रोकी गई नकदी को मानक प्रचालन प्रक्रिया के तहत शीघ्र विमुक्त करना है।
गठित समिति में उप- विकास आयुक्त समीर सौरभ (मो. 9031071726), व्यय, लेखा एवं अनुश्रवण कोषांग के नोडल पदाधिकारी राम प्रकाश सिन्हा (मो. 8544401292) और वरीय कोषागार पदाधिकारी राजेंद्र कुमार चंद्रवंशी (मो. 9931482760) को नामित किया गया है।
यह समिति पुलिस, फ्लाइंग स्क्वॉड (एफएसटी) और स्थैतिक निगरानी दल (एसएसटी) की ओर से चुनाव अवधि के दौरान की गई नकदी या बहुमूल्य वस्तुओं की जब्ती के प्रत्येक मामले की जांच करेगी। यदि जांच में यह पाया जाता है कि कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है या जब्ती किसी प्रत्याशी, राजनीतिक दल या चुनावी अभियान से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी नहीं है तो समिति ऐसे मामलों में स्पष्ट आदेश जारी कर जब्त नकदी या वस्तु को संबंधित व्यक्ति को वापस करने का निर्णय लेगी।
जब्ती की सूचना तत्काल संबंधित व्यक्ति को दी जायेगी और दस्तावेज़ों में अपील की प्रक्रिया का उल्लेख अनिवार्य होगा। विमुक्ति की संपूर्ण जानकारी एक क्रमांकित पंजी में दर्ज की जाएगी, जिसमें राशि, जब्ती की तिथि, तथा विमुक्ति की तिथि का विवरण रहेगा।
यदि जब्त की गई नकदी 10 लाख रुपये से अधिक है, तो विमुक्ति से पूर्व आयकर विभाग के नोडल अधिकारी को इसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदान की तारीख के बाद सात दिनों से अधिक समय तक कोई भी नकदी या बहुमूल्य वस्तु बिना प्राथमिकी के लंबित नहीं रखी जायेगी। समिति के आदेशानुसार ही विमुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जायेगी।
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