पटना , नवंबर 19 -- केंद्रीय राजनीति (संसद) में रहे कई राजनेता इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में उतरे, जिनमें से सात को विधायक बनने में सफलता मिली, जबकि अन्य पूर्व सांसदों को हार सामना करना पड़ा।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई पूर्व सांसद अलग-अलग राजनीतिक दलों की टिकट पर चुनावी समर में उतरे। पूर्व सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाने के पीछे सभी पार्टियों का एक ही मकसद था कि उनके प्रभाव वाले क्षेत्र में लाभ उठा कर जीत हासिल की जाये। जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने सबसे अधिक छह पूर्व सांसदो को चुनावी रण में उतारा। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर पांच पूर्व सांसदों ने चुनावी रणभूमि में ताल ठोका। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर दो पूर्व सांसद चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमाने उतरे। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने भी तीन पूर्व सांसदो को चुनावी समर में भेजा। वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के टिकट पर भी एक पूर्व सांसद चुनावी रणभूमि में ताल ठोकने के लिये उतरे। पूर्व सांसदों के चुनावी रणभूमि में उतर जाने से माहौल और रोमांचक हो गया। इस बार के चुनाव में सात पूर्व सांसद जीत दर्ज करने में सफल रहे जबकि अन्य को मात मिली।

दानापुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व सांसद राम कृपाल यादव ने चुनावी अखाड़े में ताल ठोका। भाजपा ने रामकृपाल जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता को मैदान में उतारकर साफ संदेश दिया था कि वह दानापुर सीट पर दुबारा कब्जा जमाना चाहती है। वहीं राजद ने जेल में बंद बाहुबली निवर्तमान विधायक रीत लाल यादव को श्री यादव के खिलाफ चुनावी समर में उतार दिया था। भाजपा उम्मीदवार राम कृपाल यादव ने राजद उम्मीदवार रीत लाल यादव को 29133 मतो के अंतर से पराजित किया और पहली बार विधायक बने। इसके साथ राम कृपाल यादव बिहार में उन चुनिंदा राजनेताओं में शामिल हो गये हैं, जो विधान परिषद, लोकसभा,राज्यसभा और अब विधानसभा चारों सदनों के सदस्य बने हैं।

दानापुर विधानसभा क्षेत्र राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का भी गढ़ रहा है। वह दानापुर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1995 और वर्ष 2000 में निर्वाचित हुये थे।राजद सु्प्रीमो लालू यादव ने दानपुर में पार्टी के उम्मीदवार रीत लाल यादव के पक्ष में रोड शो भी किया था। हालांकि रीत लाल को इसका लाभ नहीं मिला और वह चुनाव हार गये।

कल्याणपुर (सुरक्षित) सीट से जदयू उम्मीदवार और बिहार सरकार में सूचना एवं संपर्क मंत्री तथा पूर्व सांसद महेश्वर हजारी ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा माले) उम्मीदवार रंजीत कुमार राम को 38586 मतों से पराजित किया।

समस्तीपुर सीट से जदयू उम्मीदवार अश्वमेघ देवी ने राजद उम्मीदवार अख्तरूल इस्लाम शाहीन को 13875 मतो के अंतर से शिकस्त दी। कदवा सीट से जदयू उम्मीदवार और पूर्व सासंद दुलालचंद गोस्वामी ने बिहार विधानसभा में कांग्रेस के विधायक दल के नेता शकील अहमद खान को 18368 मतो के अंतर से पराजित किया।

गोपालपुर विधानसभा सीट से जदयू उम्मीदवार और पूर्व सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) उम्मीदवार प्रेम सागर उर्फ डब्लू यादव को 58135 मतो के अंतर से शिकस्त दी। इस बार के चुनाव में गोपालपुर विधानसभा सीट पर काबिज चार बार के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल को जदयू ने बेटिकट कर दिया था। वह इस चुनावी समर में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे थे लेकिन उन्हें तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा।

सीतामढ़ी विधानसभा सीट से पूर्व सांसद और जदयू उम्मीदवार सुनील कुमार पिंटू ने राजद उम्मीदवार सुनील कुमार को 5562 मतो के अंतर से शिकस्त दी। उजियापुर विधानसभा सीट से पूर्व सांसद और राजद उम्मीदवार आलोक कुमार मेहता ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) उम्मीदवार प्रशांत कुमार पंकज को 16283 मतो के अंतर से पराजित किया।

इस बार के चुनावी समर में उतरे कई पूर्व सांसदो को हार का भी सामना करना पड़ा। पूर्व सांसद जदयू उम्मीदवार चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी जहानाबाद सीट से चुनाव हार गये, वहीं पूर्व सांसद महाबली सिंह काराकाट में अपना बल नही दिखा सके।

राजद के टिकट पर चुनाव लड़े कई पूर्व सांसदों को हार का सामना करना पड़ा। इनमें धमदाहा विधानसभा सीट से संतोष कुमार, झाझा से जय प्रकाश नारायण यादव, मोकामा से वीणा देवी (पूर्व सांसद सूरज भान सिंह की पत्नी) और बिहारीगंज से रेणु कुशवाहा चुनाव हार गयी।

प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज के टिकट पर चुनावी रणभूमि में उतरे तीन पूर्व सांसदो को हार का सामना करना पड़ा। जोकीहाट सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिवंगत तस्लीमद्दीन के पुत्र सरफराज को शिकस्त मिली। गया टाउन से धीरेन्द्र अग्रवाल और पातेपुर (सुरक्षित) सीट से दशई चौधरी को भी हार का सामना करना पड़ा।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) उम्मीदवार और पूर्व सांसद मोनाजिर हसन को मुंगेर विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा।

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