चेन्नई , नवंबर 13 -- पृथ्वी और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों के प्रभाव में कक्षा में परिक्रमा कर रहा चंद्रयान-3 मिशन अंतरिक्ष यान के चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र (एसओआई) में प्रवेश कर गया है जिसके बाद पहली चंद्र फ्लाई-बाय घटना घटी।

इसरो ने गुरुवार रात कहा कि इस घटना से मिशन योजना, संचालन, उड़ान गतिकी के दृष्टिकोण से बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और अनुभव प्राप्त हुआ है और विशेष रूप से विक्षोभ टॉर्क प्रभावों की समझ में वृद्धि हुई है।

इसरो ने अपने अद्यतन रिपोर्ट में कहा कि चंद्रयान-3 (सीएच-3) मिशन का उद्देश्य चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करना और इन-सीटू प्रयोग करना है।

सीएच-3 मिशन में लैंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल थे। उपग्रह को 14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा स्थित एसडीएससी शार रेंज से एलवीएम पर सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।

गत 23 अगस्त 2023 को सीएच-3 के ऐतिहासिक चंद्र अवतरण के बाद इसका प्रणोदन मॉड्यूल अक्टूबर 2023 तक लगभग 150 किमी की ऊंचाई पर अपनी चंद्र कक्षा में संचालित किया गया।

इसके बाद अक्टूबर 2023 में ट्रांस-अर्थ इंजेक्शन (टीईआई) प्रक्रिया के माध्यम से पीएम को एक उच्च-ऊंचाई वाली पृथ्वी-आधारित कक्षा में स्थानांतरित कर दिया गया।

तब से ही सीएच-3-पीएम पृथ्वी और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों के प्रभाव में इसी कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों के इस परस्पर प्रभाव ने अंतरिक्ष यान को चार नवंबर 2025 को एसओआई में प्रवेश कराया जहां चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण गति पर हावी होता है।

गत छह नवंबर, 2025 को 07:23 यूटी पर पहली चंद्र फ्लाईबाई घटना भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) की दृश्यता से बाहर, चंद्रमा की सतह से 3,740 किमी की दूरी पर हुई। इसके बाद गत 11 नवंबर 2025 को 23:18 यूटी पर आईडीएसएन से दूसरी फ्लाईबाई घटना दिखाई दी जिसकी निकटतम पहुंच दूरी चंद्रमा की सतह से 4,537 किमी दूर थी।

सीएच-3 पीएम के आगामी शुक्रवार यानी 14 नवंबर, 2025 को चंद्रमा के एसओआई से बाहर निकलने की उम्मीद है।

इस फ्लाईबाई घटना के कारण उपग्रह की कक्षा आकार की दृष्टि से एक लाख गुणा तीन लाख किमी से बदलकर 4.09 लाख गुणा 7.27 लाख किमी हो गई है और इसका झुकाव 34 डिग्री से 22 डिग्री हो गया है।

इस फ्लाईबाई घटना के प्रक्षेप पथ पर इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क पर इसरो ने बहुत बारीकी से नजर रखी है।

पृथ्वी से परे अंतरिक्ष पिंडों से इसके प्रक्षेप पथ और निकटवर्ती क्षेत्रों की निगरानी के लिए विशेष सावधानी बरती गई है।

फ्लाईबाई के दौरान उपग्रह का समग्र प्रदर्शन सामान्य रहा और अन्य चंद्र कक्षाओं के साथ कोई निकट संपर्क का अनुभव नहीं हुआ।

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