गांधीनगर, सितंबर 25 -- गुजरात सरकार के साथ पाटण के उद्योगपतियों ने गुरूवार को 43 करोड़ रुपये के एमओयू किए।
वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस, नॉर्थ गुजरात के अंतर्गत जिला प्रशासन द्वारा हेमचंद्राचार्य उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय के कन्वेंशन हॉल में प्रभारी मंत्री जगदीश विश्वकर्मा की उपस्थिति में 'वाइब्रेंट गुजरात, वाइब्रेंट पाटण' समिट का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पाटण के उद्योगपतियों ने राज्य सरकार के साथ43 करोड़ रुपये के एमओयू किए, जिससे 500 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार मिलने की संभावना है।
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट-2027 की प्री-इवेंट के रूप में आयोजित इस समिट में विशेषज्ञ वक्ताओं ने उद्योग पंजीकरण, सिंगल विंडो क्लियरेंस एक्ट, एमएसएमई, आत्मनिर्भर गुजरात योजना 2022, गुजरात टेक्सटाइल पॉलिसी-2019, जेडईडी प्रमाणपत्र प्रक्रिया, विभिन्न उद्योग- हितैषी योजनाएं, बैंकिंग एवं वित्त, पीएम माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएमएफएमई) योजना और गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस जैसी जानकारियां दीं। साथ ही, छोटे-मध्यम उद्योगकारों एवं निवेशकों को मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया।
इस अवसर पर मंत्री श्री विश्वकर्मा ने कहा कि वर्ष 2003 में जब वाइब्रेंट समिट की शुरुआत हुई, तब से गुजरात की स्थिति में व्यापक बदलाव आया है। इसके लिए हमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करना चाहिए। वर्ष 2003 में शुरू किए गए इस एक पहल ने गुजरात को देश का ग्रोथ इंजन बनाने के साथ-साथ वैश्विक पहचान भी दी है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हाल ही में जीएसटी ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार करके अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए राज्य मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में आत्मनिर्भर गुजरात की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। गुजरात आज देश में निर्यात में अग्रणी है। सिंगल विंडो सिस्टम, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर, निवेश-अनुकूल वातावरण, बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और गुड गवर्नेंस के चलते विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां गुजरात में निवेश कर रही हैं। यही कारण है कि पिछले 20 वर्षों से सबसे अधिक रोजगार देने में गुजरात अग्रसर रहा है।
गुजरात के कुल निर्यात में उत्तर गुजरात का योगदान 3.3 अरब डॉलर है, जिसमें पाटण की हिस्सेदारी 22.96 करोड़ डॉलर है। पाटण के प्रसिद्ध पटोला शिल्प को जीवंत बनाए रखने में प्रधानमंत्री श्री मोदी का विशेष योगदान है। उनके मार्गदर्शन में स्थानीय हुनर और कारीगरी को प्रोत्साहन देकर लोकल उत्पादों को ग्लोबल मार्केट दिलाने का कार्य राज्य सरकार कर रही है। गांव समृद्ध हो, कारीगर समृद्ध हो, इस दिशा में नीतियां बनाई जा रही हैं। 'माइंड टू मार्केट' की अवधारणा के तहत स्थानीय पहचान को वैश्विक पहचान देने के लिए सरकार सशक्त मंच उपलब्ध करा रही है।
उन्होंने कहा कि ''भारत का भाग्य हमें स्वयं गढ़ना है'' और प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' मंत्र को सार्थक करते हुए उन्होंने भारत के नए युग की रचना के लिए तन-मन-धन से योगदान करने का आह्वान किया।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित