अहमदाबाद , अक्टूबर 18 -- गुजरात में दीपोत्सव पर्व धनतेरस शनिवार को हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है।
राज्यभर में प्राचीन परम्परा के अनुसार धन्वंतरि दिवस यानि धनतेरस धन अर्जित करने वाला शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लोग सोने, चांदी के जेवरात, सम्पत्ति, भूमि तथा बर्तन की खरीदी करते हैं। माना जाता है कि आज के दिन सोने, चांदी के जेवरात, सम्पत्ति, भूमि और बर्तन खरीदने से घर में सुख-समृद्धी आती है और रंगोली और दीयों से घरों को सजाकर मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है तथा घर के सभी लोग एकत्र होकर मां लक्ष्मी की आराधना करते नजर आते हैं। लगातार बढ़ती महंगाई से लोगों के इस त्योहार को मनाने के उत्साह में कोई कमी दिखाई नहीं दे रही है। बर्तन खरीदने की परम्परा का पालन करते हुए लोग बाजार में खरीदी करते देखने को मिल रहे हैं। हरेक व्यक्ति अपने घर के लिए कुछ न कुछ सामान की खरीदारी अवश्य कर रहा है।
प्रदेश में सात दिनो का दीपोत्सव पर्व रमा एकादशी से शुरू होकर भाई दूज तक मनाया जाता है। इन सात दिनों तक दीयों से घरों को रोशन कर चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश नजर आता है। रमा एकादशी शुक्रवार 17 अक्टूबर को शरू हुए दीपोत्सव पर्व पर लोगों ने अपने-अपने घरों में दीयो से रोशनी कर मनाया और शुक्रवार को ही दीपोत्सव पर्व वाघ बारस भी दीप जलाकर प्रकाश फैलाकर मनायी गयी और आज धनतेरस मनायी जा रही है।
शास्त्री मयूर ए पंचोली में बताया कि दीपोत्सवी पर्व का चौथा दिन रविवार को पूरे गुजरात में काली चौदस पर हरेक घर में कलह दूर करने के लिए तेल में तलकर कुछ चीजें जरूर बनायी जाती हैं। लोग मानते हैं कि घर में तेल में तली हुयी चीज बनाने से कलह और बुरी हवा घर से बाहर निकल जाती है और घर में शांति रहती है। इस दिन तांत्रिक समशानों में तांत्रिक विधियां भी करते देखे जाते हैं।
सालभर जिस दिन का लोग इंतजार करते हैं वह खुशियों का दिन दीपोत्सव का महापर्व दीपावली सोमवार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। बुधवार को 22 अक्टूबर को गुजरातीयों का नया साल मनाया जाएगा। नए साल के दूसरे दिन दीपोत्सव पर्व भाई दूज 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। नया साल मनाने का सिलसिला पांच दिन 26 अक्टूबर लाभ पांचम तक एक दूसरे को नए साल की बधाईयां देकर मनाया जाएगा। इन पांच दिनों तक गुजरात में लगभग सभी बाजार बंद रहते हैं।
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