गांधीनगर , अक्टूबर 08 -- गुजरात में विकास सप्ताह के अंतर्गत नौ अक्टूबर को पोषण दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात अक्टूबर, 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जिसके 24 वर्ष पूरे हो गए हैं। उनकी 24 वर्षों की जनसेवा की गाथा को उजागर करने के लिए राज्य में सात अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक विकास सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत, नौ अक्टूबर को पोषण दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पिछले 24 वर्षों के दौरान, राज्य में पोषण के स्तर में सुधार के लिए कई योजनाएँ लागू की गई हैं।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन ने राज्य में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और उनके बच्चों के लिए पर्याप्त पोषण और भोजन सुनिश्चित करने के लिए गंभीर प्रयास किए। आज प्रधानमंत्री के रूप में उनके 'सही पोषण देश रोशन' के मंत्र को साकार करने की दिशा में राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात की पोषण संबंधी पहलों के सकारात्मक परिणाम धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। पोषण संबंधीविभिन्न पहल अमल करने के कारण राज्य ने बच्चों के अंडरवेट,बौनेपन और शारीरिक दुर्बलता जैसी चुनौतियों में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया है। पिछले सात साल के आँकड़ों को देखें तो आईसीडीएस यानी इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवेलपमेंट सर्विसेस के तहत पोषण को लेकर गुजरात सरकार के व्यापक और सघन प्रयासों के कारण 2019 में अंडरवेट बच्चों का प्रतिशत 39.7 प्रतिशत था, जो 2025 में घटकर 17.2 प्रतिशत रह गया, बौनेपन 39 प्रतिशत से 30.9 प्रतिशत और शारीरिक दुर्बलता 25 प्रतिशत से 6.7 प्रतिशत तक कम हुई। राज्य की सभी पोषण संबंधी योजनाओं का लाभ लगभग 45 लाख से अधिक महिलाओं को मिल रहा है।
माताओं और बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य को सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना राज्यभर में अहम भूमिका निभा रही है। इस योजना के तहत गर्भधारण से लेकर शिशु के जन्म के पहले दो साल तक महिलाओं और उनके बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है। राज्य के 53,065 आंगनवाड़ी सेंटर्स में महिलाओं को प्रति माह एक लीटर मूंगफली का तेल, एक किलो तुअर दाल और दो किलो चने की न्यूट्रीशन किट वितरित की जाती है।
इस पहल से न केवल माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार देखा जा रहा है, बल्कि उनके समग्र विकास में भी मजबूती आई है। हर साल पांच लाख महिलाएँ और बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो ऐसा मिशन है, जो मातृत्व और बचपन के शुरुआती वर्षों में बेहतर पोषण और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
माताओं और बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए गुजरात में 2017 से टेक होम राशन प्रोग्राम प्रभावी ढंग से चलाया जा रहा है। राज्य के सभी आंगनवाड़ी सेंटर्स तक राशन पहुंचाने का कार्य तीन प्रमुख डेयरी को-ऑपरेटिव्स और गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के माध्यम से किया जाता है। इस प्रोग्राम के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को हर महीने एक किलो राशन के चार पैकेट उपलब्ध कराए जाते हैं। वहीं, छह महीने से तीन साल तक के सामान्य बच्चों को बाल शक्ति आहार के सात पैकेट और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को दस पैकेट दिया जाता है।
इसके साथ ही, तीन से छह साल के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में रोजाना हॉट कुक्ड मील भी प्रदान किया जाता है, जिससे बच्चों का पोषण स्तर मजबूत होने के साथ उनके शुरुआती विकास में भी मदद मिलती है। अब तक टेक होम राशन प्रोग्राम से 16.5 लाख से अधिक माताएँ और बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं, जबकि हॉट कुक्ड मील का लाभ 11.6 लाख से अधिक बच्चों तक पहुंचा है। इस तरह से 28 लाख से अधिक लाभार्थी इन दोनों योजनाओं से जुड़ चुके हैं।
माताओं, बच्चों और किशोरियों के स्वास्थ्य और पोषण को सशक्त बनाने के लिए गुजरात सरकार ने लगातार महत्वाकांक्षी योजनाएं लागू की हैं। पोषण सुधा योजना राज्य की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है जिसकी शुरुआत 2017-18 में 10 जिलों से हुई थी और अब 14 आदिवासी जिलों के 106 ब्लॉकों में सक्रिय है। इस योजना के तहत हर महीने लगभग 1.2 लाख महिलाओं तक विशेष भोजन, आयरन और फॉलिक एसिड, कैल्शियम गोलियाँ और स्वास्थ्य परामर्श पहुंचाया जाता है।
इसी दिशा में दूध संजीवनी योजना ने भी अहम भूमिका निभाई है। इसके तहत छह महीने से छह साल तक के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में सप्ताह में पांच दिन 100 मिलीलीटर फोर्टीफाइड दूध दिया जाता है। वहीं, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को हफ्ते में दो बार 200 मिलीलीटर पोषणयुक्त दूध उपलब्ध कराया जाता है। इस पहल से लगभग 9.3 लाख लाभार्थियों के पोषण स्तर में सुधार हुआ है, जिससे माताओं और बच्चों का स्वास्थ्य मजबूत हुआ है। इसी तरह, पूर्णा योजना के तहत राज्य की 15 से 18 साल की करीब 10 लाख किशोरियों को हर महीने एक किलो के चार पैकेट पोषणयुक्त आहार और हर हफ्ते आयरन-फॉलिक एसिड टैबलेट्स उपलब्ध कराई जाती हैं। इन तीनों पहलों का उद्देश्य कुपोषण और एनीमिया को कम करने के साथ-साथ बच्चों और किशोरियों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना भी है।
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