गांधीनगर , नवंबर 10 -- गुजरात में आदिवासी जिलों के लगभग 30 से अधिक प्रशिक्षु हर साल स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि पिछले चार वर्षों (2021-22 से 2024-25) में गुजरात सरकार, उद्योग आयुक्तालय के अधीन कार्यरत सेंटर फॉर ऑन्त्रप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट (सीईडी) ने 14 से अधिक जनजातीय जिलों में ऑन्त्रप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (ईडीपी) और जागरूकता कार्यशालाओं के माध्यम से हजारों युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सशक्त रूप से प्रेरित किया है।
गुजरात सरकार की इस विशेष पहल के द्वारा हर साल आदिजाति क्षेत्र के लगभग 200 से अधिक युवाओं को विभिन्न उद्यमिता से संबंधित प्रोफेशनल ट्रेनिंग की सुविधा दी जाती है, जिससे राज्य के आदिवासी जिलों के लगभग 30 से अधिक प्रशिक्षु स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
बीते चार वर्षों में राज्य सरकार ने दो करोड़ रुपये खर्च कर 1000 से अधिक आदिवासी युवाओं को उद्यमिता प्रशिक्षण की सेवाएं दी हैं। इनमें से 120 से अधिक युवा अब अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित करते हुए आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
इसी तरह कौशल विकास के प्रयास के तहत 2021-22 से 2024-25 के दौरान 1300 से अधिक जनजातीय युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया गया। पिछले तीन वर्षों में 223 आदिजाति युवाओं को प्रशिक्षण के पश्चात प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।
राज्य में कौशल विकास और उद्यमिता प्रशिक्षण के प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं। वलसाड जिले के गुंडलव जीआईडढीसी में हितेश पटेल ने भी राज्य सरकार के सीईडी से बिज़नेस डेवलपमेंट प्रशिक्षण के बाद स्टैंडर्ड इक्विपमेंट संस्था की स्थापना की। रासायनिक उद्योग में उपयोग होने वाले प्रोसेस पंपों के निर्माण में उनकी कंपनी अब अग्रणी बन चुकी है। आदित्य बिड़ला ग्रुप और एमईआरसीके जैसे दिग्गज ग्राहक, 15 सदस्यों की टीम और तीन करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार स्पष्ट करता है कि कौशल-आधारित उद्यमिता क्षेत्रीय औद्योगिक विकास के लिए कितनी निर्णायक साबित हो सकती है।
डांग की जनजातीय बस्ती की दक्षाबेन बिरारी ने सीईडी के प्रशिक्षण और सखी मंडल के सहयोग से अंबिका हलदर फ़ार्म स्थापित कर पारंपरिक हल्दी खेती को आधुनिक एग्रो-बिज़नेस में बदला। उनका वार्षिक टर्नओवर 80 लाख रुपये से अधिक हो गया है और वे स्थानीय आदिजाति महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।
इसी तरह, वडोदरा जिले के वाघोडिया में तरुण वसावा ने जेएसपी प्लास्टिक्स के माध्यम से प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत पहचान बनायी। पन्द्रह लोगों को रोजगार देने वाली उनकी इकाई का मौजूदा वार्षिक कारोबार लगभग एक करोड़ रुपये के आसपास है, और अब वे सौर ऊर्जा इंस्टॉलेशन के नये व्यवसाय के साथ अपने उद्यम को भविष्य की दिशा में विस्तारित कर रहे हैं।
एक और प्रेरक उदाहरण अरावली जिले के मेघरज की जयाबेन वरसत का है जिन्होंने गुजरात सरकार के सीईडी से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जयश्री ऑर्गेनिक गृह उद्योग की स्थापना की। आज वे 25 लोगों को रोजगार देकर ग्रामीण महिला उद्यमिता का सशक्त मॉडल पेश कर रही हैं।
गुजरात सरकार के उद्यमिता प्रशिक्षण मॉडल में 42 स्किल अप-ग्रेडेशन सेंटर्स, एंकर इन्स्टीट्यूट्स, उद्योग आधारित ब्रिज कोर्सेस और स्पेशलाइज़्ड स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स को मिलाकर एकीकृत और मज़बूत व्यवस्था विकसित की गई है। आधुनिक उपकरणों, स्मार्ट क्लासरूम और स्थानीय उद्योगों के साथ साझेदारी के माध्यम से इन केंद्रों को इस प्रकार सक्षम बनाया गया है कि प्रशिक्षण सीधे उद्यमिता और रोजगार में परिवर्तित हो सके।
ये प्रशिक्षण कोर्स कई क्षेत्रों रासायनिक प्रसंस्करण, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान और सिलाई, सौंदर्य एवं वेलनेस, लॉजिस्टिक्स, आईटी और डेटा एंट्री, तथा नवीकरणीय ऊर्जा सहित को कवर करते हैं। राज्य सरकार का कहना है कि इन कोर्सों का पाठ्यक्रम स्थानीय आर्थिक संभावनाओं और उद्योग की वास्तविक जरूरतों के अनुरूप तैयार किया गया है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित