श्रीगंगानगर , नवंबर 27 -- केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भारत की आत्मा गांवों में बसती है और यथार्थ को समझने के लिए गांव ही सही आईना हैं।
श्री शेखावत ने गुरुवार को श्री डूंगरसिंहपुरा के 152वें स्थापना दिवस समारोह में शिरकत करने के अवसर पर अपने संबोधन में यह बात कही। इतिहास की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा, " भारत में आक्रांताओं ने निरंतर दो हजार वर्ष तक संघर्ष किया। सनातन संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया लेकिन भारत मां के सपूतों एवं रणबांकुरों ने संघर्ष एवं बलिदान देकर इसे बचाए रखा। धर्म ध्वजा की रक्षा के लिए दिए गए बलिदानों की जानकारी कालांतर में पीढ़ियों को होनी चाहिए, क्योंकि हमारा इतिहास बिखरा हुआ है। इसका संकलन होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि जो समाज या परिवार इतिहास से कट जाता है, उसकी हालत कटे पेड़ जैसी हो जाती है, इसलिए गांवों में बनी छत्रियों का इतिहास विलुप्त न हो, इसके लिए झरोखा जैसी पुस्तकों की आवश्यकता है।
श्री डूंगरसिंहपुरा के इतिहास को याद करते हुए श्री शेखावत ने कहा कि गांव के संस्थापक मोटाराम और उनके परिवार ने अंग्रेजों का उत्पीड़न, चुनौतियां, संघर्ष और अत्याचारों का सामना किया। महाराजा डूंगरसिंह ने मोटाराम और उनके परिवार को पलायन करने से रोका और उनके साथ न्याय कर उन्हें 35 हजार बीघा जमीन कृषि के लिए दी, जिस पर आज पांच गांव बसाए गए हैं।
श्री शेखावत ने चौधरी जगमालाराम के गंग नहर निर्माण (1927) में आर्थिक सहयोग, चौधरी चेत्रम द्वारा 1963 के चीन युद्ध के बाद स्वर्ण संग्रह कर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को स्वर्ण-तौल कराने और पूरा स्वर्ण राष्ट्रीय रक्षा कोष में दान देने जैसे राष्ट्रीय निर्माण में ग्राम के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को 42 प्रतिशत राशि देने के अलावा पांच प्रतिशत अतिरिक्त विकास राशि गांवों के लिए दी जाती है, जिससे गांव-गांव में विकास कार्य हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदीजी की इच्छा के अनुरूप प्रत्येक गरीब का घर पक्का हो, उसमें सभी मूलभूत सुविधाएं हों, जिसके परिणामस्वरूप 25 करोड़ से अधिक परिवार गरीबी की रेखा से बाहर आ चुके हैं। शेखावत ने गांव में पौधारोपण किया। गांव में रक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया।
श्री शेखावत एवं अन्य अतिथियों ने डा बृजमोहन सहारण द्वारा लिखित पुस्तक "झरोखा" का विमोचन किया गया। केन्द्र सरकार द्वारा जारी डाक टिकट का भी लोकार्पण किया गया। उन्होंने सिंधु जल समझौते का जिक्र करते हुए इसे न्यायसंगत नहीं बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कथन दोहराया कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। उन्होंने कहा कि समझौते के समय पानी की कीमत पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने आश्वस्त किया कि चिनाब नदी के पानी का लाभ पंजाब, राजस्थान और गुजरात के नागरिकों को मिलेगा।
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