बैतूल , नवम्बर 23 -- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की धार्मिक नगरी मुलताई में एक मार्मिक घटना ने समाज को सकारात्मक संदेश दिया है। नेहरू वार्ड निवासी शासकीय शिक्षक विजय साहू (माध्यमिक शाला मालेगांव) का शनिवार रात हार्ट अटैक से निधन हो गया, जिससे परिवार, विद्यार्थियों और शैक्षणिक जगत में शोक की लहर फैल गई।
रविवार को स्थानीय मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें परंपराओं को पीछे छोड़ते हुए उनकी बड़ी बेटी सजल साहू ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। सागर से लौटकर पहुंची सजल ने नम आंखों से कहा कि वह "पापा की बेटी ही नहीं, बेटा भी है।" उपस्थित लोगों ने इस कदम की सराहना करते हुए इसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा बताया।
सजल के साथ छोटी बहन विशाखा साहू और मां संगीता साहू भी अंतिम संस्कार की प्रक्रियाओं में शामिल रहीं। दोनों बहनों ने विधि-विधान के साथ अपने पिता को भावभीनी विदाई दी। मुक्तिधाम का वातावरण गमगीन था, लेकिन बेटियों के साहस ने सभी को प्रभावित किया।
परिवार के अनुसार, विजय साहू अपनी बेटियों को बराबरी का अधिकार, शिक्षा और आत्मनिर्भरता का महत्व हमेशा समझाते थे। वे कहा करते थे कि "बेटियां किसी से कम नहीं होतीं।" पिता के इन्हीं संस्कारों से प्रेरित होकर बेटियों ने बेटों का पारंपरिक कर्तव्य निभाया।
अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में नागरिक, रिश्तेदार, शिक्षक और विद्यार्थी शामिल हुए और नम आंखों से अपने प्रिय शिक्षक को श्रद्धांजलि दी। इस घटना को समाज में बेटी-बेटा समानता का मजबूत संदेश माना जा रहा है और इसे शानदार सामाजिक बदलाव की दिशा करार दिया गया है।
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