अमृतसर, सितंबर 29 -- श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज्ज ने राष्ट्रीय राजधानी के हवाई अड्डे पर तमिल सिख और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता जीवन सिंह के साथ एयर इंडिया के कर्मचारियों द्वारा किए गए भेदभावपूर्ण और अपमानजनक व्यवहार की कड़ी निंदा की।

श्री गड़गज्ज ने सोमवार को कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब पूरा देश श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी वर्षगांठ मना रहा है, तब भी स्वतंत्र भारत में उनके सिखों को इस तरह के भेदभावपूर्ण अपमान का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि गुरु तेग बहादुर सिंह ने धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली हवाई अड्डे पर श्री सिंह के साथ हुई घटना ने देश-विदेश के सिखों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुँचाई है।

उन्होंने कहा कि हालाँकि एयर इंडिया ने श्री सिंह और दिल्ली स्थित अधिवक्ता नीना सिंह को ईमेल के ज़रिए लिखित माफ़ी मांगी है लेकिन इससे वह अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के लिए एयर इंडिया को इस घटना की जाँच का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि ज़िम्मेदार कर्मचारियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की गयी है, इसके बारे में बताना चाहिये।

श्री गड़गज्ज ने कहा कि हाल के दिनों में देश में सिख कलाकारों (आस्था के प्रतीक) और सिख पहचान को निशाना बनाने की घटनाएँ बढ़ी हैं। उन्होंने राजस्थान के एक मामले का हवाला दिया जहाँ एक अमृतधारी सिख महिला उम्मीदवार को उसकी सिख आस्था के प्रतीक के कारण जोधपुर उच्च न्यायालय की न्यायिक प्रतियोगी परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई, और अन्य घटनाओं का भी ज़िक्र किया जहाँ सिख स्कूली बच्चों और उम्मीदवारों को अपने कड़ा (लोहे का कंगन) उतारने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि सिख संगठनों के विरोध के बावजूद, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने अभी तक अमृतधारी कर्मचारियों को हवाई अड्डों पर कृपाण ले जाने पर रोक लगाने वाला अपना परिपत्र वापस नहीं लिया है। यह सिखों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि भारत का संविधान सिखों को कृपाण धारण करने की अनुमति देता है। उन्होंने आगे कहा कि इन कार्रवाइयों से स्पष्ट है कि सरकारें सिखों की चिंताओं, पहचान और आस्था से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेती हैं।

उन्होंने सिख समुदाय को यह भी निर्देश दिया कि जहाँ भी सिख पहचान या सिख आस्था के विरुद्ध कोई कार्रवाई की जाती है, दोषियों के खिलाफ सामूहिक आवाज उठाई जानी चाहिए और जवाबदेही तय की जानी चाहिए। उन्होंने केन्द्र सरकार से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि देश में कहीं भी सिख पहचान या सिख आस्था के विरुद्ध कोई भी कृत्य न हो। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए, केंद्रीय गृह मंत्रालय को तुरंत आवश्यक राष्ट्रव्यापी दिशानिर्देश जारी करने चाहिए और यदि कोई फिर भी सिख विरोधी गतिविधियों में लिप्त है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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