मुंबई, सितंबर 26 -- खाताधारक की मौत की स्थिति में उसके खाते में जमा राशि या लॉकर में जमा वस्तुओं के दावे का निपटान अब बैंकों को 15 दिन के भीतर करना होगा, अन्यथा उन्हें भारी-भरकम जुर्माना भरना होगा।

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को इस संबंध में निर्देश जारी किया जिसके तहत बैंकों को अपनी नीतियों और प्रक्रिया में बदलाव कर उसे 31 मार्च 2026 तक लागू करना होगा। इसमें दावा निपटान के लिए समय सीमा तय करने के अलावा दावे के समर्थन में लगने वाले दस्तावेजों की सूची भी तय कर दी गयी है जो फिलहाल सभी बैंकों में अलग-अलग है।

निर्देश में कहा गया है कि वाणिज्यिक बैंकों तथा सहकारी बैंकों को खाताधारक की मौत की स्थिति में सभी जरूरी दस्तावेज प्राप्त होने के बाद 15 दिन के भीतर दावे का निपटान करना होगा। बैंक लॉकर के मामले में 15 दिन के भीतर दावे का निपटान कर सर्वाइवर के प्रावधान की स्थिति में सर्वाइवर, नहीं तो नॉमिनी, को वस्तुएं निकालने के लिए एक निश्चित तिथि के बारे में सूचना देनी होगी।

समय पर निपटान न करने की स्थिति में बैंक उस समय के बैंक रेट से चार प्रतिशत (सालाना) अधिक की दर से जितने दिन की देरी होगी उतने दिन का ब्याज हर्जाने के रूप में देगा। लॉकर के मामले में हर्जाना 5,000 रुपये प्रति दिन होगा।

साथ ही यह व्यवस्था की गयी है कि सर्वाइवर, नॉमिनी या वैध वारिस बैंक की किसी भी शाखा के दावे का आवेदन कर सकता है। बैंकों को ऑनलाइन दावा प्रणाली तैयार करने की भी छूट दी गयी है।

सावधि जमा खाते के खाताधारक की मौत की स्थिति में दावा किये जाने पर बैंक समय पूर्व निकासी के लिए कोई शुल्क नहीं लगा सकेंगे।

रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंकों के मामले में पांच लाख रुपये और वाणिज्यिक बैंकों के मामले में 15 लाख रुपये की थ्रेसोल्ड सीमा तय की है। इस सीमा तक राशि के दावा निपटान के लिए बैंक श्योरिटी बॉन्ड की मांग नहीं करेंगे।

अन्य मामलों में भी कागजातों की जरूरत को सरल बनाया गया है और इसे स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।

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