सोनीपत, सितंबर 26 -- हरियाणा के सोनीपत में एक सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज न करने पर खरखौदा की अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है। व्यक्ति की मौत के बाद उसकी पत्नी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट के आदेश पर पांच महीने बाद मामला दर्ज हुआ है।

कोर्ट ने खरखौदा थाना प्रभारी को तुरंत एफआईआर दर्ज करने और कानून के अनुसार मामले की जांच करने का निर्देश दिए है।

कोर्ट ने कहा कि संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर एफआईआर दर्ज करना पुलिस का कानूनी फर्ज बनता है और उसे अपना कार्य बखुबी करना चाहिये ।

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के गांव सैदपुर निवासी याचिकाकर्ता पिंकी ने बताया कि 28 अप्रैल को रात करीब 8:30 बजे दुर्घटना हुई थी। उनके 29 साल के पति अनिल कुमार अपने साथी सुधीर के साथ बाइक से खरखौदा से हसनगढ़ जा रहे थे।

जब वे दिल्ली चौक खरखौदा से हसनगढ़ पुल से नीचे उतरे, तो अंधेरा होने के कारण एक अज्ञात तीन पहिया रिक्शा के चालक ने तेजी और लापरवाही से वाहन चलाते हुए गलत साइड से आकर उनकी बाइक में टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में अनिल कुमार और सुधीर दोनों घायल हो गए।

अनिल कुमार को सिर में गंभीर चोटें आईं, जिसके कारण उन्हें सामान्य अस्पताल खरखौदा ले जाते समय उनकी मौत हो गई।

सुधीर को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिंकी ने बताया कि उन्होंने दुर्घटना के संबंध में 30 अप्रैल 2025 को थाना खरखौदा में एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की।

इसके बाद 29 जुलाई को उन्होंने पुलिस कमिश्नर, सोनीपत को भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए शिकायत दी, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस द्वारा कोई रिपोर्ट दर्ज न किए जाने के बाद पिंकी ने धारा 173(4) बीएनएसएस (पूर्व धारा 156 (3) (सीआरपीसी) के तहत न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

न्यायालय ने पुलिस की कार्रवाई को 'कानून के विपरीत' बताया न्यायालय ने शिकायतकर्ता के वकील राकेश यादव की दलीलों वकील राकेश यादव की दलीलों पर सुनवाई की। पुलिस द्वारा प्रस्तुत 'एक्शन टेकन रिपोर्ट' में यह बताया गया था कि दुर्घटना बाइक चालक की गलती के कारण हुई थी, क्योंकि वह शराब के नशे में था और उसने एक तिपहिया वाहन में टक्कर मारी थी।

यहां तक कि पुलिस ने एक मनोज नामक व्यक्ति के हलफनामे का भी हवाला दिया।

हालांकि, कोर्ट के संज्ञान में आया कि मनोज ने इस बात से इनकार किया है कि उसने एसएचओ को दुर्घटना या बाइक सवार की गलती के बारे में कोई सूचना नही दी थी।

जेएम विक्रांत की कोर्ट ने आदेश दिए कि संज्ञेय अपराध की सूचना मिलते ही एफआईआर दर्ज करना थाना प्रभारी का कानूनी दायित्व था। न्यायालय ने पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक 'जांच' की पद्धति को 'कानून के विपरीत' बताया।

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