कोंडागांव , नवंबर 12 -- छत्तीसगढ़ में कोंडागांव जिले के आदिवासी अंचल कुएंमारी के ग्रामीणों ने खुद अपनी सड़क बनाने का फैसला किया है। शासन-प्रशासन से बार-बार की गई मांगों के बावजूद जब बुनियादी सुविधा नहीं मिली, तो गांववालों ने सामूहिक श्रम से पहाड़ काटकर सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया। यह पहल न केवल आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि व्यवस्था पर एक मौन प्रश्न भी खड़ा करती है आख़िर आम आदमी अपनी जरूरत की सड़क खुद क्यों नहीं बना सकता?केशकाल विकासखंड के ग्राम पंचायत होनेहेड के आश्रित गांव नंदगट्टा, जो मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है, अब भी पक्की सड़क से वंचित है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत कुएंमारी तक तो सड़क पहुंची लेकिन वहां से आगे बसे गांवों के लिए मार्ग अब भी दुर्गम है। ग्रामीणों को अब तक झाड़ियों, चट्टानों और पहाड़ियों के बीच जोखिम उठाकर आवागमन करना पड़ता था।
स्थानीय ग्रामीण मदन कश्यप ने कहा, "सरकार से कई बार आवेदन किया, पर सड़क नहीं बनी। आखिर हमने तय किया कि अब और इंतज़ार नहीं करेंगे अपनी मेहनत से खुद रास्ता बनाएंगे।" गांव की महिलाएं और पुरुष प्रतिदिन दो से तीन घंटे फावड़ा, कुदाल और कुल्हाड़ी लेकर सड़क खुदाई में जुटे हैं। लगभग एक महीने से चल रहे इस श्रमदान में हर घर से दो-तीन सदस्य भाग ले रहे हैं।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ललिता कुंजाम ने कहा, "यह सड़क सिर्फ मिट्टी और पत्थर की नहीं, बल्कि उम्मीद और संघर्ष की सड़क है।" ग्रामीणों का यह सामूहिक प्रयास बताता है कि जब शासन की योजनाएं कागज़ों पर थम जाएं, तो जनता अपने श्रम से विकास का मार्ग खुद तैयार कर सकती है।
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