रांची , नवम्बर 17 -- झारखंड की रजत जयंती पर राज्य सरकार ने किसानों के हित में ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी निर्णय लिया है।
खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने आज जामताड़ा में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष किसानों को उनके धान का मूल्य एकमुश्त राशि के रूप में दिया जाएगा। यह निर्णय किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाने और उनकी आर्थिक मजबूती सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है।
डॉ अंसारी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर झारखंड सरकार ने लगभग Rs.100 अतिरिक्त बोनस जोड़कर भुगतान करने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी जाएगी।
मंत्री डॉ. अंसारी ने स्पष्ट कहा कि "अब किसानों को अपनी मेहनत की कमाई के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस बार धान खरीद प्रक्रिया 15 दिसंबर से पहले ही शुरू कर दी जाएगी।
झारखंड में अगले 10-15 दिनों में धान कटनी पूरी होने जा रही है। इसी को देखते हुए सरकार ने धान खरीद प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया है।
पहली बार राज्य में किसानों को एकमुश्त भुगतान मिलेगा, जबकि अब तक उन्हें दो किश्तों में राशि दी जाती थी, जिसमें दूसरी किश्त मिलने में लंबा समय लग जाता था। मजबूरी में किसान बिचौलियों को धान बेचने को विवश हो जाते थे। इस नई व्यवस्था से यह समस्या समाप्त होगी।
डॉ अंसारी ने सख्त शब्दों में सभी जिला आपूर्ति पदाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा की अगर राज्य से धान को बाहर भेजने या बिचौलियों की किसी भी गतिविधि की सूचना मिली, तो तुरंत कड़ी कार्रवाई होगी। किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राज्य सरकार ने दूसरे राज्यों के बिचौलियों को रोकने के लिए विशेष निगरानी तंत्र भी सक्रिय कर दिया है।
विभागीय बैठक में इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। किसानों ने कहा की पहली बार किसी मंत्री ने हमारे हक और अधिकार को समझते हुए इतना बड़ा कदम उठाया है। हम मंत्री के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।
डॉ अंसारी ने कहा कि जब से मैं मंत्री बना हूं, लगातार विभाग की मॉनिटरिंग कर रहा हूं। मेरा प्रयास है कि किसानों को मजबूत कर सकूं, क्योंकि किसान मजबूत होंगे तो समाज मजबूत होगा। किसानों का हक उन्हें हर हाल में मिलेगा, बिचौलियों की कोई जगह नहीं है। आज लिए गए फैसलों का लाभ आने वाले समय में साफ दिखाई देगा।
यह निर्णय न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि कृषि व्यवस्था को पारदर्शी और बिचौलिया मुक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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