वाराणसी , नवंबर 5 -- धार्मिक नगरी काशी में बुधवार को भगवान भास्कर की पहली किरण मां गंगा में पड़ते ही दिव्य नजारा दिखने लगा। आस्था और उल्लास के संगम की अद्भुत आभा घाटों पर दिव्य रूप में नजर आने लगी। लाखों श्रद्धालुओं का महासागर मानो मां गंगा में डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़ा। काशी के अर्धचंद्राकार घाटों पर श्रद्धालुओं का महाकुंभ देखने को मिल रहा है।
बटुक भैरव मंदिर के महंत जितेंद्र मोहन पुरी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है, जो कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह विशेष दिन महादेव और भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन को देव दीपावली महापर्व के रूप में भी मनाया जाता है। सायंकाल काशी के घाटों, कुंडों, मंदिरों तथा तालाबों को दीपों से सजाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं और अनन्य पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। महादेव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इस दिन किया गया दान कई यज्ञों के बराबर फल देता है। काशी की देव दीपावली विश्वविख्यात है।
सहायक पुलिस आयुक्त डॉ. अतुल अंजान त्रिपाठी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विभिन्न घाटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से सभी गंगा घाटों को दस जोन, 18 सेक्टर और 34 सब-सेक्टर में विभाजित किया गया है। सभी घाटों पर निरीक्षक और उनके ऊपर के अधिकारियों की तैनाती की गई है। दशाश्वमेध, अस्सी, राजघाट, नमो, राजेंद्र प्रसाद समेत कई घाटों पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं। पूरे गंगा घाटों और मार्गों पर ड्रोन, सीसीटीवी तथा एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सर्विलांस के माध्यम से विशेष निगरानी की जा रही है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित