मुंबई , नवंबर 22 -- पूर्व मंत्री और अमरावती से कांग्रेस नेता यशोमती ठाकुर ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की इस दावे के लिए आलोचना की कि उसके 100 पार्षद महाराष्ट्र में अलग-अलग स्थानीय निकायों से 'बिना विरोध के जीत' गये हैं।

सुश्री ठाकुर ने आरोप लगाया कि भाजपा की 'वंशवाद की राजनीति' स्थानीय निकायों तक भी पहुँच गई है और भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों की ऐसी 'बिना विरोध के जीत' पक्की करने के लिए पुलिस बल पर भी दबाव डाला गया।

महाराष्ट्र में 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों (सिटी काउंसिल) के लिए चुनाव 2 दिसंबर को होने वाला है और मतदान की गिनती तीन दिसंबर, 2025 को होगी।

सुश्री ठाकुर ने भाजपा पर स्थानीय निकाय चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों को हटाने के लिए डराने-धमकाने और लालच देने का आरोप लगाया। उनकी यह टिप्पणी भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण के इस दावे के जवाब में आई है कि राज्य भर में नगर परिषदों और नगर पंचायतों में भाजपा के 100 पार्षद चुनाव शुरू होने से पहले ही 'बिना विरोध के चुन लिए गए'।

कांग्रेस नेता ने कहा, "मुख्यमंत्री फडणवीस के एक चचेरे भाई चिखलदरा नगर परिषद में बिना विरोध के चुने गए। भाजपा के कई मंत्री, विधायक और सांसदों के रिश्तेदार या तो चुनाव मैदान में हैं या स्थानीय निकायों में पदों के लिए पहले ही बिना विरोध के चुने जा चुके हैं।"अमरावती ज़िले के चिखलदरा नगर परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चचेरे भाई अल्हड़ कलोटे भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार थे। वह वार्ड संख्या एक से चुनाव लड़ रहे थे।

सुश्री ठाकुर ने कहा, "यहां, कांग्रेस ने शेख इरशाद शेख को मैदान में उतारा था, लेकिन गुरुवार को कांग्रेस उम्मीदवार समेत कुल सात उम्मीदवारोंं ने अपना नामांकन 'वापस ले लिया'। इस वजह से फडणवीस के चचेरे भाई अल्हड़ कलोटे बिना विरोध के चुन लिए गए।"कांग्रेस नेता ने कहा कि जामनेर में जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन की पत्नी साधना महाजन परिषद अध्यक्ष के पद के लिए 'बिना विरोध के चुन ली गयीं', क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार रूपाली लालवानी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) के उम्मीदवार ने चुनाव से नाम वापस ले लिया।

सुश्री ठाकुर ने कहा कि मंत्री जयकुमार रावल की मां नयन कुंवर रावल धुले जिले में डोंडाइचा-वरवड़े नगर परिषद की अध्यक्ष के तौर पर बिना किसी मुकाबले के चुनी गईं, क्योंकि विपक्षी उम्मीदवार शरयू भावसार का नामांकन अस्वीकार हो गया। उन्होंने कहा कि श्री भावसार ने आरोप लगाया कि नामांकन 'मंत्री के दबाव में' अस्वीकार किया गया था।

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