रायपुर , नवंबर 21 -- छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने धान खरीदी प्रक्रिया में गम्भीर अव्यवस्थाओं का आरोप लगाते हुए कहा है कि खरीदी शुरू हुए छह दिन बीत गए, लेकिन सरकार अब तक व्यवस्था दुरुस्त नहीं कर पाई है। कांग्रेस का कहना है कि अधिकांश सोसायटियों में किसानों को पंजीयन, टोकन और डाटा मिलान जैसी मूलभूत प्रक्रियाओं में ही लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
शुक्रवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने बताया कि कई सोसायटियों में किसान रोज चक्कर लगाते हुए वापस लौट रहे हैं, क्योंकि न तो पंजीयन की प्रक्रिया सुचारू है और न ही टोकन कट पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सोसायटी कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान खरीदी का काम संभाल रहे अन्य विभागों के कर्मियों को पर्याप्त अनुभव नहीं था, जिससे अव्यवस्था और गहराई। वहीं हड़ताल खत्म होने के बाद भी नियमित कर्मचारी अभी पूरी तरह काम में नहीं लौट पाए हैं, जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है।
श्री बैज ने यह भी कहा कि एग्रीस्टेक पोर्टल पर 2023 के बाद खातों में हुए परिवर्तन, बंटवारे और फौती का डाटा अपडेट नहीं किया गया है। इसके कारण बड़ी संख्या में किसानों का अब तक पंजीयन नहीं हो सका है। साथ ही कई समितियों के कंप्यूटरों में पोर्टल का पूरा डाटा अपलोड नहीं होने से सोसायटी स्तर और ऑनलाइन सिस्टम के बीच डाटा मिलान नहीं हो पा रहा। बैज ने कहा, "किसान जब टोकन कटाने पहुंचते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि उनका डाटा अधूरा है, जिससे वे टोकन से वंचित हो रहे हैं।"उन्होंने सरकार की 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी की घोषणा पर भी सवाल उठाए। कांग्रेस का कहना है कि कई सोसायटियों में गिरदावरी और अनावरी रिपोर्ट के आधार पर ही खरीदी की जा रही है, जिसके चलते किसानों के टोकन 15 से 19 क्विंटल प्रति एकड़ तक सीमित कर दिए गए हैं। बैज ने आरोप लगाया कि सरकार शुरुआत से ही व्यवधान पैदा कर रही है और उसकी नीयत किसानों से पूरा 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने की नहीं है।
कांग्रेस ने मांग की है कि राज्य सरकार धान खरीदी की पूरी व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त करे, ताकि किसानों को हो रही परेशानी दूर हो और खरीदी प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित हो सके। है कि अधिकांश सोसायटियों में किसानों को पंजीयन, टोकन और डाटा मिलान जैसी मूलभूत प्रक्रियाओं में ही लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
शुक्रवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने बताया कि कई सोसायटियों में किसान रोज चक्कर लगाते हुए वापस लौट रहे हैं, क्योंकि न तो पंजीयन की प्रक्रिया सुचारू है और न ही टोकन कट पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सोसायटी कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान खरीदी का काम संभाल रहे अन्य विभागों के कर्मियों को पर्याप्त अनुभव नहीं था, जिससे अव्यवस्था और गहराई। वहीं हड़ताल खत्म होने के बाद भी नियमित कर्मचारी अभी पूरी तरह काम में नहीं लौट पाए हैं, जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है।
श्री बैज ने यह भी कहा कि एग्रीस्टेक पोर्टल पर 2023 के बाद खातों में हुए परिवर्तन, बंटवारे और फौती का डाटा अपडेट नहीं किया गया है। इसके कारण बड़ी संख्या में किसानों का अब तक पंजीयन नहीं हो सका है। साथ ही कई समितियों के कंप्यूटरों में पोर्टल का पूरा डाटा अपलोड नहीं होने से सोसायटी स्तर और ऑनलाइन सिस्टम के बीच डाटा मिलान नहीं हो पा रहा। "किसान जब टोकन कटाने पहुंचते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि उनका डाटा अधूरा है, जिससे वे टोकन से वंचित हो रहे हैं।,"प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने सरकार की 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी की घोषणा पर भी सवाल उठाए है। कांग्रेस का कहना है कि कई सोसायटियों में गिरदावरी और अनावरी रिपोर्ट के आधार पर ही खरीदी की जा रही है, जिसके चलते किसानों के टोकन 15 से 19 क्विंटल प्रति एकड़ तक सीमित कर दिए गए हैं। बैज ने आरोप लगाया कि सरकार शुरुआत से ही व्यवधान पैदा कर रही है और उसकी नीयत किसानों से पूरा 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने की नहीं है।
कांग्रेस ने मांग की है कि राज्य सरकार धान खरीदी की पूरी व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त करे, ताकि किसानों को हो रही परेशानी दूर हो और खरीदी प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित हो सके।
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