पटना , नवंबर 22 -- सुमन कुमार निर्देशित नाटक 'महामानवी माता जानकी' का मंचन राजधानी के प्रेमचंद रंगशाला में शनिवार को किया गया। कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के सौजन्य से कला जागरण के कलाकारों ने धार्मिक हिन्दी नाटक 'महामानवी माता जानकी' की प्रभावशाली प्रस्तुति की, जिसका निर्देशन सुमन कुमार और नाटक की संरचना तथा सह निर्देशन डा.किशोर सिन्हा ने किया।

नाटक के सह निर्देशक किशोर सिन्हा ने बताया कि इस नाटक का संगीत निर्देशन सरोज दास ने किया तथा महिमा, सौरव सिंह, अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा, नीलेश्वर मिश्र, निशांत सिंह राजपूत, उमेश कुमार, विष्णुदेव कुमार, प्रीति कुमारी, मुस्कान शर्मा, धीरज कुमार, अजीत गुज्जर, प्रिंस राज, अभिषेक कुमार, संजय साहनी, रंजन ठाकुर सहित अन्य कलाकारों ने मंच पर अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। इस प्रस्तुति में प्रकाश परिकल्पना का संयोजन राजीव कुमार ने किया।

श्री सिन्हा ने बताया कि महामानवी माता जानकी" एक नाट्य कथा है जो सीता के जीवन को देवी से भी बढ़कर एक अद्भुत, दृढ़ और साहसी महा मानवी के रूप में प्रस्तुत करती है। मिथिला की धरती की गोद में मां जानकी के चमत्कारिक जन्म से नाटक की कथा आरंभ होती है। बचपन से ही सीता सौम्यता, करुणा और धैर्य की प्रतिमूर्ति बनकर विकसित होती हैं। शिवधनुष भंग के बाद राम से उनका विवाह होता है और दोनों का जीवन आदर्श प्रेम व मर्यादा का प्रतीक बनता है। राजा दशरथ के निर्णय के बाद राम को 14 वर्ष का वनवास मिलता है और सीता सहर्ष उनके साथ जाने का निर्णय लेती हैं। वन में रावण उनका अपहरण करता है, जिसके बाद उनकी सबसे कठिन परीक्षा का प्रारंभ होता है। अशोक वाटिका में वे अपनी पवित्रता और साहस को अटल रखती हैं। रावण वध के बाद भी समाज के संदेहों के कारण उन्हें अग्नि-परीक्षा देनी पड़ती है, जो उनके लिए गहरी पीड़ा का विषय बनती है। नाटक का सबसे कारुणिक हिस्सा है, जब जनमत के दबाव में गर्भवती सीता को वन में छोड़ दिया जाता है। वाल्मीकि आश्रम में माँ सीता लव और कुश को जन्म देती हैं और उन्हें संस्कारों से सींचती हैं। अंततः, बार-बार की परीक्षाओं से थककर सीता धरती माता को पुकारती हैं और उसमें विलीन हो जाती हैं।

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