नयी दिल्ली , अक्टूबर 10 -- कर कानूनों में सुधार और कारोबार में सरलता के उपायों के तहत 2025 का आयकर अधिनियम कई तरह के पुराने आपराधिक सजा वाले प्रावधानों को खत्म करा चुका है और अभी इसमें 13 प्रावधानों में 35 प्रकार के कार्यों और गलतियों को आपराधिक कार्य की श्रेणी में रखा गया है।
नीति आयोग की कर नीति द्वारा नीति पर कार्य-पत्र श्रृंखला के तहत गुरुवार को जारी दूसरे दस्तावेज में उपरोक्त तथ्य को रेखांकित किया गया है। इस दस्तावेज का विषय है डिक्रिमिनलाइजेशन एंड ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस (आपराधिक प्रावधानों को हटाना एवं विश्वास आधारित संचालन व्यवस्था)। आयोग इससे पहले कार्य-पत्र "भारत में विदेशी निवेशकों के लिए स्थायी प्रतिष्ठान और लाभ आवंटन में सुनिश्चितता, पारदर्शिता और एकरूपता को बढ़ाना" शीर्षक से जारी किया था।
इसी दृष्टिकोण के साथ कार्य पत्र में आयकर अधिनियम, 2025 के तहत आपराधिक प्रावधानों का एक व्यापक मूल्यांकन किया गया है। इस दस्तावेज में दंडों को तर्कसंगत बनाने, छोटे और प्रक्रियात्मक गैर-अनुपालन को गैर-आपराधिक बनाने और न्यायिक विवेक को मजबूत करने के लिए एक सिद्धांत-आधारित ढांचे का प्रस्ताव किया गया है।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. वी. आर. सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत के कर सुधार अब सरलीकरण, आधुनिकीकरण और कर प्रशासन में विश्वास के एकीकरण द्वारा चिह्नित एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहे हैं। भारत एजेंसियों द्वारा-संचालित अनुपालन से जैसे-जैसे विश्वास-आधारित शासन की ओर बढ़ रहा है- कर- प्रशासन का ध्यान आनुपातिक, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रवर्तन तंत्रों पर केंद्रित होना चाहिए ताकि राजकोष की रक्षा करते हुए करदाताओं को अधिकार सम्पन्न बनाया जा सके।
नीति आयोग के सीईओ ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे सुधारों से मुकदमेबाजी कम होगी, निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और एक निष्पक्ष और पूर्वानुमेय कर व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता आगे बढ़ेगी जो वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ मेल खाती है।
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