धारवाड़, सितंबर 26 -- कर्नाटक में हजारों की संख्या में बेरोजगार युवाओं ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर राज्य में विभिन्न सरकारी पदों पर भर्ती की जा रही देरी पर असंतोष जताया।
विरोध प्रदर्शन में करीब 20,000 युवक और युवतियों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस, स्कूल शिक्षण और अन्य सरकारी विभागों में वर्षों से रिक्त पड़े पदों के प्रति बढ़ते असंतोष को उजागर किया।
प्रदर्शनकारियों ने भर्तियों में देरी के विभिन्न कारण गिनाये, जिनमें कोविड-19, चुनावी तारीखें और आंतरिक आरक्षण नीति शामिल है। उनका कहना है कि इन वजहों से वे रोजगार के अवसरों से वंचित हो गये। कई प्रतिभागियों ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने तैयारी के लिए वर्षों लगा दिए, निजी क्षेत्र के रोजगार और उच्च शिक्षा को स्थगित कर दिया, लेकिन उन्हें बार-बार स्थगन और सरकारी अधिकारियों की परस्पर विरोधी घोषणाओं का सामना करना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनका गुस्सा सिर्फ बेरोजगारी को लेकर नहीं है, बल्कि सरकारी अधिकारियों की ओर से बार-बार दी जा रही गलत सूचनाओं और असंगतियों पर भी है।
एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, "मैं आज यहाँ क्यों खड़ी हूँ? हम कुछ भी कर सकते हैं- एक महिला घर में खाना बना सकती है, लेकिन हम यहाँ सड़कों पर हड़ताल कर रहे हैं क्योंकि भर्ती ठीक से नहीं हो रही है। मंत्री बयान देते रहते हैं पहले 18,000 शिक्षक, फिर 13,000 शिक्षक। हम उन पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?"छात्रों का आरोप है कि कोविड-19 से लेकर चुनावों और आंतरिक आरक्षण नीतियों जैसे बहानों के कारण उनकी सालों की तैयारी बर्बाद हो गई है। कई छात्रों ने सरकारी परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए निजी नौकरी और उच्च शिक्षा छोड़ दी है और उनका भविष्य अनिश्चित काल के लिए अधर में लटक गया है।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम निजी अवसरों को छोड़कर पाँच साल से सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे हैं। हमारी उम्र बढ़ती जा रही है। अगर सरकार कम से कम एक बार उम्र में छूट नहीं देती है, तो हमारी मेहनत बेकार है।"युवाओं की एक प्रमुख माँग आयु सीमा बढ़ाने की है कि पुलिस कांस्टेबल पदों के लिए आवेदन करने वाले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा 33 वर्ष और सामान्य योग्यता वाले उम्मीदवारों के लिए 30 वर्ष। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि पड़ोसी राज्य ज़्यादा आयु सीमा निर्धारित करते हैं और कर्नाटक की देरी ने उसके युवाओं को अनुचित रूप से नुकसान पहुंचाया है।
एक अन्य प्रतिभागी ने दुख जताते हुए कहा , " भर्ती के बारे में हर मंत्री कुछ अलग कहते हैं। हम सालों से पढ़ रहे हैं, लेकिन कोई अधिसूचना नहीं आती। कुछ छात्रों ने तो इस अनिश्चितता के कारण उम्मीद ही छोड़ दी है और आत्महत्या भी कर ली है।
छात्रों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो वे मुख्यमंत्री आवास और अन्य प्रमुख सरकारी कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन करेंगे। एक छात्र नेता ने कहा कि अगर सरकार एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई नहीं करती है, तो वे अपनी एकता और दृढ़ संकल्प दिखाने के लिए विधानसभा और मंत्रियों के घरों का घेराव करेंगे।
प्रदर्शनकारी व्यवस्थागत सुधार की भी मांग कर रहे हैं कि एसएससी या बैंक परीक्षाओं जैसी केंद्रीय परीक्षाओं के समान वार्षिक, पूर्वानुमानित भर्ती अभियान, प्रत्येक स्कूल में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या में नियुक्ति, तथा पुलिस विभाग में रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए।
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