भुज , अक्टूबर 04 -- गुजरात के भुज में क्रांतिकुरु श्यामजीकृष्ण वर्मा कच्छ विश्वविद्यालय का 15वां दीक्षांत समारोह शनिवार को राज्यपाल व विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आचार्य देवव्रत की उपस्थिति में आयोजित हुआ।
इस समारोह में 7901 विद्यार्थियों को स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्रियां प्रदान की गईं तथा 40 विद्यार्थियों को उनके शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। श्री देवव्रत ने इस अवसर पर कच्छ के सपूत श्यामजीकृष्ण वर्मा की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि उन्होंने विदेश की भूमि पर रहते हुए भी देशभक्तों को तैयार किया और वह राष्ट्रभक्तों के सच्चे प्रतीक थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके अस्थिकलश को भारत लाकर उनके मातृभूमि में स्मारक बनवाया और उन्हें असाधारण सम्मान दिया है। श्यामजीकृष्ण वर्मा का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, इसका उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने युवाओं से आग्रह किया कि वह सत्यपालन, धर्मपालन और कर्तव्यभावना के साथ राष्ट्रधर्म, समाजधर्म और परिवारधर्म का पालन करें तथा भारत के विकास में सक्रिय सहयोग दें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी पर बल दे रहे हैं। इसलिए युवाओं को विकसित, स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भागीदार बनना होगा। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की जिम्मेदारी युवाओं पर है। इसलिए केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना भी युवाओं का दायित्व है।
श्री आचार्य देवव्रत ने विद्यार्थियों को अपने अर्जित ज्ञान का उपयोग समाज कल्याण के लिए करने की सीख दी। दीक्षांत समारोह के महत्व पर उन्होंने कहा कि जड़ और चेतन दोनों की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। प्रकृति के मूल तत्व जड़ हैं और माता-पिता चेतन है, इन दोनों का संरक्षण आवश्यक है। आज प्राकृति के दोहन के कारण प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं और माता-पिता के सम्मान के अभाव में वृद्धाश्रमों की संख्या भी बढ़ रही है। इसलिए शिक्षित युवाओं को इन दोनों की रक्षा की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व में भारत तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर है। अब हर नागरिक को समर्थ और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण हेतु स्वदेशी की ओर लौटना होगा। उन्होंने उपस्थित लोगों से विदेशी वस्तुओं का त्याग करके स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। युवाओं से उन्होंने कहा कि वह ब्रांड की मानसिक गुलामी से मुक्त होकर स्वदेशी अपनाएं और देशप्रेम की भावना को जागृत करें।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि डिग्री प्राप्त करने के साथ-साथ वह पर्यावरण संरक्षण और भारतीय संस्कृति को अपनाएं तथा अर्जित ज्ञान को समाज के जरूरतमंद वर्गों तक पहुंचाएं। रासायनिक खेती के बढ़ते प्रचलन से स्वास्थ्य और प्रकृति को हो रहे नुकसान की चर्चा करते हुए उन्होंने युवाओं से प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ने का संकल्प लेने की अपील की।
समारोह में 40 स्वर्ण पदक विजेताओं को राज्यपाल के करकमलों से पदक और उपाधि प्रदान की गई, जबकि 29 पीएच.डी. धारक विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहित किया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मोहनभाई पटेल ने विश्वविद्यालय के विकास कार्यों और आगामी योजनाओं जैसे म्यूजियम, मॉल, जिम, कैफेटेरिया आदि के निर्माण के बारे में जानकारी दी और कहा कि कच्छ विश्वविद्यालय को न केवल गुजरात बल्कि पूरे भारत में विशिष्ट पहचान दिलाने का लक्ष्य है।
कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल देवव्रत को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। विश्वविद्यालय परिसर में बने नये परीक्षा भवन और सीएसआर के तहत मिले वाहनों का लोकार्पण भी राज्यपाल ने किया।
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