बाड़मेर , अक्टूबर 05 -- केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा है कि भारत की शक्ति उसकी संस्कृति, परंपरा और सामूहिक सोच में निहित है। ओरण, गौचर, तालाब और मंदिर केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि हमारे गांवों की जीवनरेखा हैं।

श्री शेखावत रविवार को यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारे पूर्वज विजनरी थे। उन्होंने प्रकृति, जल, भूमि और धर्म को एक सूत्र में पिरोया ताकि गांव आत्मनिर्भर और संतुलित रह सके। मंदिरों को माफी की जमीन देना इस सोच का हिस्सा था, जिससे वे स्वतंत्र रूप से अपने दायित्व निभा सकें। कालांतर में जब धार्मिक तंतु कमजोर हुआ, तब ओरण और गौचर भूमि पर कब्जों की घटनाएं बढ़ीं। हालांकि, अब इन भूमि संरक्षण के लिए सख्त कानून बने हैं और उच्चत्तम न्यायालय के आदेश से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा कि जो भूमि नोटिफाइड नहीं हैं, उन्हें चिह्नित कर वैधानिक संरक्षण देना आवश्यक है।

ओरण की बदलती उपयोगिता पर उन्होंने कहा कि समय के साथ समाज और तकनीक दोनों बदले हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे पहले छुकछुक रेलगाड़ी शब्द आम था, पर आज उसकी प्रासंगिकता खत्म हो गई, वैसे ही हमें ओरणों की भूमिका को नए युग के अनुरूप परिभाषित करना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये स्थल केवल प्रतीक न रहें, बल्कि पर्यावरण और समाज के हित में उपयोगी बनें।

उन्होंने सीमा जन कल्याण समिति के अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे समाज के सहयोग से गौचर भूमि की फेंसिंग और पौधारोपण कर संरक्षण के प्रयास किए गए।

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