भुवनेश्वर , नवंबर 08 -- ओडिशा में पहली बार मोबाइल एप्लिकेशन के साथ एकीकृत सेंसर-आधारित इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरणों का राज्य की लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है ताकि पानी, समय पर सिंचाई जैसे आदानों का अधिकतम उपयोग किया जा सके तथा किसानों को सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिए मौसम के बारे में पर्याप्त जानकारी एकत्र की जा सके। राज्य की विकास आयुक्त अनु गर्ग ने शनिवार को यहां ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम (ओएलआईसी) की 210वीं बोर्ड बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा,"यह अभिनव पहल वास्तविक समय की निगरानी और जल वितरण के कुशल प्रबंधन को सक्षम बनाती है जो राज्य में स्मार्ट सिंचाई प्रथाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"उन्होंने आगे कहा कि उन्नत तकनीकी समाधानों को टिकाऊ सिंचाई बुनियादी ढांचे के साथ जोड़कर, ओएलआईसी किसानों को सशक्त बनाने, जलवायु चुनौतियों के प्रति लचीलापन बढ़ाने और ग्रामीण ओडिशा के समग्र विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने दोहराया कि लिफ्ट सिंचाई के लिए राज्य सरकार का दृष्टिकोण जल सुरक्षा सुनिश्चित करने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और सिंचाई तक समान पहुंच में सुधार लाने पर केंद्रित है, विशेष रूप से उच्चभूमि और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जहां पारंपरिक नहर प्रणालियां व्यवहार्य नहीं हैं।
राज्य का लक्ष्य विशाल कृषि योग्य क्षेत्रों में सुनिश्चित वर्ष भर सिंचाई प्रदान करके कृषि में बदलाव लाना भी है जिससे कृषि आय स्थिर होगी और ग्रामीण समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
सिंचाई कार्यक्रमों के त्वरित कार्यान्वयन के माध्यम से, लिफ्ट सिंचाई निगम ने 16.51 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता सृजित की है जिससे वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान राज्य भर में 15 लाख से अधिक किसान परिवारों को लाभ होगा।
इस अवधि की एक प्रमुख उपलब्धि सौर ऊर्जा चालित गहरे बोरवेलों का विस्तार है। 3,328 स्थापनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं जिससे लगभग 0.17 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधायें मिल रही हैं। अधिकारियों ने दावा किया कि दिसंबर 2025 तक, ऐसे 9,000 अतिरिक्त संयंत्र लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे लाभार्थी किसानों की संख्या लगभग 35,000 हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा आधारित सिंचाई की ओर यह बदलाव ओएलआईसी की सतत और पर्यावरण के अनुकूल कृषि विकास के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मयूरभंज जैसे कई जिलों में किसान स्ट्रॉबेरी, सूरजमुखी और मशरूम जैसी विविध फसलों को तेजी से अपना रहे हैं जिससे सामाजिक-आर्थिक उत्थान में प्रत्यक्ष योगदान मिला है।
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