न्यूयॉर्क , नवंबर 19 -- संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र की अध्यक्ष एनालेना बैरबॉक ने लंबे समय से लंबित सुरक्षा परिषद सुधारों पर नये सिरे से ज़ोर देते हुए सदस्य देशों से इस ऐतिहासिक बदलाव का लाभ उठाने का आग्रह किया है।

सुश्री बैरबॉक ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान सत्र का विशेष महत्व है क्योंकि यह न केवल संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ का प्रतीक है बल्कि भविष्य के लिए समझौते को अपनाये जाने के एक वर्ष का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा, "अगर कोई ऐसा वर्ष है जिसमें हमें पिछले सत्रों की गति को नए सिरे से तेज़ी से आगे बढ़ाना चाहिए, तो वह यही वर्ष है।"उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह मील का पत्थर न केवल उत्सव का क्षण है बल्कि यह चिंतन, नेतृत्व और कार्रवाई का क्षण है ताकि संयुक्त राष्ट्र को 21वीं सदी के लिए उपयुक्त बनाया जा सके। सुश्री बैरबॉक ने बताया कि उच्च-स्तरीय बैठक के सप्ताह के दौरान 100 से ज़्यादा वैश्विक नेताओं ने 'सुरक्षा परिषद सुधार की आवश्यकता' पर ज़ोर दिया और भविष्य के लिए परिषद को 'अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह' बनाने के आह्वान किया।

सुश्री बैरबॉक ने प्रगति में तेज़ी लाने के प्रयासों के तहत नीदरलैंड की राजदूत लीज़ ग्रेगोइरे-वान हारेन और कुवैत के राजदूत तारिक अल्बानी को परिषद सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता का सह-अध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने उनके नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए आग्रह किया कि इस गति का उपयोग अगले कदमों की खोज और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए, क्योंकि सुधार संबंधी चर्चाएँ 17 वर्षों से चल रही हैं।

अध्यक्ष ने सदस्य देशों को याद दिलाया कि बदलाव की ज़िम्मेदारी उनकी है। उन्होंने प्रतिनिधिमंडलों से परिषद सुधार के लिए नए मॉडल प्रस्तुत करने या मौजूदा मॉडलों को बेहतर बनाने का आह्वान दोहराया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद को बिना सुधार के छोड़ देने से संपूर्ण संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की विश्वसनीयता को नुकसान होगा। उन्होंने कहा, "सुरक्षा परिषद को इस सुधार प्रक्रिया से बाहर नहीं रखा जा सकता, खासकर जब यह अक्सर खुद को पंगु पाती है।" उन्होंने कहा कि कार्रवाई न करने से संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाएगी।

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