रायगढ़, नवंबर 14 -- एनटीपीसी तराईपाली परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश तेज़ हो गया है। भूमि अधिग्रहण, मुआवज़ा और पुनर्वास नीति को लेकर किसानों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के लिए उनकी कृषि भूमि अधिग्रहित किए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक उन्हें उचित मुआवज़ा और पुनर्वास का लाभ पूरी तरह नहीं मिला।
किसानों ने बताया कि अधिग्रहित भूमि के लिए प्रति एकड़ 6 लाख, 8 लाख और 10 लाख मुआवज़ा तय किया गया था, लेकिन वास्तविक भुगतान में भारी विसंगतियाँ सामने आई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आर एंड आर पॉलिसी, कट-ऑफ डेट, भू-अर्जन अधिनियम 1997, तथा 2013 के भू-अधिग्रहण कानून की धारा 24 जैसे महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधानों की अनदेखी की गई है, जिससे उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है।
ग्रामीणों ने कहा कि पीढ़ियों से जिस भूमि पर उनकी जीविका टिकी हुई थी, उसे बिना उचित प्रतिकर के अधिग्रहित कर लिया गया। बार-बार शिकायतों और अनुरोधों के बावजूद न तो प्रशासन और न ही कंपनी ने उनकी समस्याओं की गंभीरता को समझा। किसानों ने स्पष्ट कहा है कि-"हमारी ज़मीनें ले ली गईं, लेकिन बदले में न न्याय मिला, न पूरा मुआवज़ा। सरकार और कंपनी दोनों ही हमारी आवाज़ सुनने को तैयार नहीं हैं।"ग्रामीणों ने त्रिपक्षीय वार्ता की मांग करते हुए कहा है कि जब तक एनटीपीसी जिला प्रशासन और प्रभावित किसान एक साथ बैठकर समाधान नहीं निकालेंगे, तब तक विवाद समाप्त नहीं होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि मांगों की अनदेखी की गई तो आने वाले दिनों में आंदोलन और भी तीव्र किया जाएगा।
किसानों का कहना है, " एनटीपीसी की मनमानी अब और बर्दाश्त नहीं। अगर हमारी बात नहीं सुनी गई, तो हम सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।"वहीं प्रशासन की चुप्पी भी ग्रामीणों के बीच सवालों के घेरे में है।
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