तिरुवनंतपुरम, सितंबर 27 -- फरीदाबाद स्थित क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आरसीबी) के कार्यकारी निदेशक डॉ. अरविंद साहू के अनुसार एंटीबॉडीज वायरल हमले के प्रारंभिक या संपर्क चरण के दौरान अधिक प्रभावी ढंग से काम करते हैं।
डॉ साहू ने कहा कि उनके शोध में पूरक घटक 3 (सी3) की भूमिका का पता लगाया गया है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण प्रोटीन है, जो कोशिकाओं के अंदर और बाहर दोनों जगह मौजूद होता है, तथा यह जन्मजात प्रतिरक्षा, ऊतक मरम्मत और रोगाणुओं के खिलाफ रक्षा में सहायक होता है।
उन्होंने कहा कि वायरल संक्रमण के दौरान प्रारंभिक चरण में सी3 का व्यवहार एंटीबॉडीज को हमले के प्रारंभिक चरण में विशेष रूप से प्रभावी बनाता है। उनकी टीम ने यह भी अध्ययन किया कि पूरक एंटीबॉडीज कैसे काम करती हैं।
नियामक प्रणाली सक्रिय रूप से वायरल संक्रमण से बचाव करती है और मेजबान कोशिकाओं को क्षति से बचाती है।
डॉ साहू ने कहा कि हमारा शोध इस बात की जांच से शुरू हुआ कि प्रतिरक्षा प्रणाली विदेशी निकायों और पूरक विनियमन के पैटर्न को कैसे पहचानती है।
उनके निष्कर्षों से पता चला कि महामारी इन्फ्लूएंजा ए (एच1एन1) 2009 वायरस संक्रमण के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा के लिए पूरक मार्ग महत्वपूर्ण हैं।
वह कल ब्रिक-राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आरजीसीबी) में "पूरक विनियमन और मेजबान-रोगजनक इंटरफेस पर वायरल शिक्षण" विषय पर एक आमंत्रित व्याख्यान दे रहे थे।
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