पटना, सितंबर 26 -- बिहार के उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के किसानों को शारदीय (खरीफ) 2025 मौसम में उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकार ने विशेष पहल की है।
श्री सिन्हा ने बयान जारी कर कहा कि भारत सरकार द्वारा शारदीय( खरीफ) 2025 के लिए बिहार राज्य हेतु 10.32 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 2.20 लाख मीट्रिक टन डीएपी, 2.50 लाख मीट्रिक टन एनपीके, 0.50 लाख मीट्रिक टन एमओपी तथा 0.75 लाख मीट्रिक टन एसएसपी की आवश्यकता निर्धारित की गई है। इस आलोक में राज्य सरकार ने समय पर आपूर्ति की ठोस व्यवस्था की है।उन्होंने बताया कि 26 सितंबर तक राज्य में 1.41 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 1.64 लाख मीट्रिक टन डीएपी, 2.19 लाख मीट्रिक टन एनपीके, 0.62 लाख मीट्रिक टन एमओपी तथा 1.02 लाख मीट्रिक टन एसएसपी का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। वर्तमान में राज्य के किसी भी जिले में उर्वरक की कमी नहीं है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए सरकार ने निगरानी और कार्रवाई दोनों स्तरों पर सख्ती बरतने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि शारदीय ( खरीफ) 2025 (दिनांक 26.09.2025 तक) के दौरान उर्वरक वितरण में अनियमितता के विरुद्ध अब तक 56 प्रतिष्ठानों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है तथा 276 प्रतिष्ठानों का उर्वरक प्राधिकार पत्र रद्द किया गया है।सभी जिला कृषि पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जिला एवं प्रखंड स्तरीय उर्वरक निगरानी समिति की नियमित बैठकें आयोजित कर उपलब्धता और मांग के अनुसार प्रखंडवार उप-आवंटन सुनिश्चित करें। प्रत्येक प्रतिष्ठान पर पॉस मशीन में प्रदर्शित मात्रा एवं वास्तविक स्टॉक का मिलान किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
श्री सिन्हा ने बताया कि राज्य सरकार ने कालाबाजारी और अधिक मूल्य पर बिक्री रोकने के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है। यह दल नियमित रूप से छापामारी और निरीक्षण कर रहा है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे जिलों में भी विशेष दल गठित किए गए हैं, जो सशस्त्र सीमा बल के सहयोग से उर्वरक की तस्करी पर प्रभावी रोक लगाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया है कि शारदीय( खरीफ) 2025 में पूरे राज्य में उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित है। विभाग निरंतर निगरानी कर रहा है जिससे समय पर किसानों को आवश्यक उर्वरक मिले और उनकी फसलों की उत्पादकता पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े।
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