देहरादून , नवंबर 04 -- उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष्य पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को आरोप, प्रत्यारोपों, मीठी, खट्टी नोंकझोंक के बीच विकास की भावी योजनाओं के नाम पर चर्चा हुई। इसके साथ ही सदन की अवधि तीसरे दिन बुधवार को भी चलने की अनुमति दी गई जबकि अभी तक यह मात्र दो दिन के लिए प्रस्तावित था।
सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के उपरान्त शुरू हुए इस ऐतिहासिक विशेष सत्र के दूसरे दिन मूल निवास, पहाड़ी, मैदानी, चकबंदी जैसे बुनियादी सवालों पर सत्ता और विपक्ष के सदस्यों ने उठाया। जहां पक्ष के सदस्यों ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया, वहीं प्रतिपक्ष और स्वतंत्र विधायकों ने नाकामियों का जिक्र करते हुए, विशेष तौर पर नारायण दत्त तिवारी के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए कार्यों का हवाला दिया।
स्वतंत्र विधायक उमेश कुमार और सदन के उपनेता कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने स्पष्ट कहा कि इन पच्चीस सालों में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या बना है। सरकारी अफसर विधायक निधि में चौदह और पंद्रह परसेंट कमीशन मांगते हैं।
श्री कापड़ी ने पीठ और नेता सदन से गम्भीर मुद्रा में अनुरोध किया कि विधायक निधि से पंद्रह परसेंट अधिकारियों का कमीशन काटकर ही हमें निधि देने का प्रावधान करें।
विधायक विनोद चमोली ने कहा कि उत्तर प्रदेश से अलग होकर यह राज्य बना, लेकिन आज भी यहां की वर्क कल्चर विकसित नहीं हो सकी। आज भी यहां अधिकारी उत्तर प्रदेश की वर्क कल्चर से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक धर्मशाला बना हुआ है। जिसे मन होता है, यहां चला आता है। उन्होंने कहा कि देश के सभी राज्यों में मूल निवास की व्यवस्था है, परन्तु उत्तराखंड में आज तक मूल निवास का नियम नहीं बन सका। उन्होंने इसे बुनियादी और चिंतन का विषय बताया।
श्री चमोली ने कहा कि गैरसैण ग्रीष्मकालीन राजधानी तो घोषित हो गई, लेकिन वहां एसडीएम भी नहीं बैठता। उन्होंने गैरसैण में मिनी सचिवालय बनाने और अपर मुख्य सचिव तथा अपर पुलिस महानिदेशक जैसे अधिकारियों की तैनाती करने का सुझाव दिया। उन्होंने कृषि पर चर्चा करते हुए कहा कि चकबंदी या बंदोबस्त लागू किया जाना भी बुनियादी आवश्यकता है। इससे बागवानी को बल मिलेगा। उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के परिजनों को आरक्षण का लाभ देने की भी मांग की।
कांग्रेस के लखपत बुटोला ने कहा कि गैरसैण को स्थाई राजधानी घोषित किया जाय। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि हरिद्वार जैसे मैदानी क्षेत्रों में बीस, बीस विधानसभा क्षेत्र हैं, जबकि हमारे पहाड़ के जिलों में दो, चार। उन्होंने प्रदेश का अस्तित्व बचाने के लिए वर्ष 2001 के आधार पर परिसीमन की मांग की, ताकि सही अनुपात में विकास हो सके। उन्होंने पहाड़ की परिसंपत्तियों पर भी कार्य किए जाने की आवश्यकता बताई।
इस दौरान, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए अल्मोडा के चौखुटिया खाल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए पिछले पैंतीस दिनों से आंदोलनरत महिलाओं पर लाठीचार्ज का मुद्दा उठाया। जिसके उत्तर में संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने सदन को बताया कि उक्त स्वास्थ्य केंद्र को उप जिला चिकित्सालय बनाने का आदेश निर्गत हो चुका है। वहां दो विशेषज्ञ चिकित्सक नियुक्त किए जा रहे हैं। सात विभिन्न चिकित्सक पहले से नियुक्त हैं।
विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि मैं अटल जी का समर्थक हूं। अंतरिम विधानसभा में कांग्रेस के दो ही सदस्य थे, मेरी माता और केसी सिंह बाबा। हमें गर्व होना चाहिए सबने मिलकर उत्तराखंड को संवारा। पहाड़-मैदान की बात करना गलत है। एनडी तिवारी ने अटल जी के साथ मिलकर सिडकुल की स्थापना की, जिससे आज भी लाखों परिवार पल रहे हैं। सिडकुल की कंपनियों में टॉप पोस्ट पर 70 फीसदी नहीं 5 फीसदी भी नहीं हैं। ये 70 फीसदी का आरक्षण नीचे के पदों के लिए रखा गया है। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे बाहर जा रहे हैं।
स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए श्री सुमित ने कहा कि अल्मोड़ा जैसे शहर में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं है। वहां से हल्द्वानी आना पड़ता है। कहीं उपकरण नहीं, कहीं स्टाफ नहीं। हमें पहली सरकार से कुछ सीखना है। हमने पहली सरकार में सोर्सिंग की, आज आउटसोर्सिंग की जाती है। हमें सोर्सिंग पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि ये प्रदेश लिटिगेशन का बनता जा रहा है। इस बार सरकार के खिलाफ सभी संगठनों को कोर्ट जाना पड़ रहा है।
विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि आज हम सब संतोष में हैं क्योंकि सड़कें, बिजली, पानी जिनकी कभी अपेक्षा नहीं करते थे, वो पूरे हुए। 25 साल में हमने किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है। पशुपालन विभाग एक लक्ष्य समृद्धि के लिए काम कर रहा है। पशु चिकित्सक 15 फीसद और पशु सेवा केंद्र 30 फीसद बढ़े। 2,15,000 पशुधन का बीमा किया गया। 13 जिलों के 332 पशु चिकित्सालय बने।
विधायक खजानदास ने कहा कि मैंने वो दिन देखा है जब उत्तराखंड का प्रस्ताव 2 अप्रैल 2000 को यूपी की विधानसभा में प्रस्तुत हो रहा था। उत्तराखंड के एक विधायक ने सदन में एक टिप्पणी की थी, मेरा खून खौल गया। विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने जवाब दिया। मंत्री निशंक ने उसका जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि हम आज गढ़वाल, कुमाऊं, मैदानी क्षेत्र की बात करते हैं। हमें ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न नहीं करनी चाहिए। मैं पहाड़ का व्यक्ति, भाजपा ने चलना सिखाया। आज देहरादून जैसे शहर का विधायक बना दिया। जिस गति से पहाड़ का विकास होना चाहिए था वो 25 साल में नहीं हो पाया। आने वाले 25 वर्षों में हम इस राज्य को शहीदों के सपने का प्रदेश बना सकते हैं।
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