देहरादून , अक्टूबर 10 -- उत्तराखंड के खासकर मैदानी क्षेत्रों में शुक्रवार को विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए रखे जाने वाले उपवास, पूजा अर्चना की परम्परा का निर्वहन शाम से शुरू हो गया है। इसमें विवाहिताओं द्वारा सोलह श्रृंगार कर, अपने सुहाग के रक्षा को अपने घरों के नजदीकी मंदिरों में जाकर कथा श्रवण करने के साथ, पूजा करने का सिलसिला समाचार लिखे जाने तक निरंतर जारी है।
ऋषिकेश में जानकी झूला स्थित पूर्णानंद घाट पर महिला गंगा आरती में उत्साह के साथ करवा चौथ मनाया गया।
राजभवन, देहरादून में आज प्रथम महिला गुरमीत कौर द्वारा करवा चौथ का पारंपरिक एवं भव्य आयोजन किया गया, जिसमें उत्तराखंड की आईएएस, आईपीएस और आईएफएस एसोसिएशन की महिलाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई, जिसमें सभी महिलाओं ने पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर सहभागिता की। श्रीमती कौर ने सभी उपस्थित महिलाओं का स्वागत करते हुए करवा चौथ त्योहार के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह पर्व नारी की श्रद्धा, प्रेम, समर्पण और त्याग का प्रतीक है, जो पारिवारिक जीवन के बंधनों को और सशक्त बनाता है। यह परंपरा हमें परिवार और रिश्तों की अहमियत को स्मरण कराती है तथा परस्पर सम्मान और एकता के संदेश को प्रबल करती है।
इस अवसर पर श्रीमती कौर ने राज्य में महिला अधिकारियों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि वे न केवल अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों का उत्कृष्ट निर्वहन कर रही हैं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक जीवन में भी प्रेरणास्रोत बन रही हैं। उनके समर्पण और दक्षता से राज्य के सर्वांगीण विकास में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है।
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