नयी दिल्ली/देहरादून , अक्टूबर 11 -- उत्तराखंड के तीन सांसदों, 30 विधायकों तथा कई पूर्व विधायकों ने मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी को पत्र लिखकर प्रदेश के राजकीय इंटर कालेजों में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने तथा पठन पाठन को व्यवस्थित बनाने के लिए प्रधानाचार्यो के रिक्त पदों पर भर्ती की विभागीय परीक्षा आयोजित करने का आग्रह किया है।

लोकसभा सदस्य त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्यसभा सदस्य महेंद्र भट्ट तथा कल्पना सैनी के साथ ही वरिष्ठ विधायक किशोर उपाध्याय, किशन सिंह चुफाल, प्रदीप बत्रा, काजी निजामुद्दीन, मयूख सिंह महर, ममता राकेश, उमेश कुमार, खजानदास सहित 30 विधायकों ने कहा है कि प्रधानाचार्यों के बड़ी संख्या में रिक्त पद होने से शिक्षण व्यवस्था चरमरा रही है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में जन प्रतिनिधियों ने कहा कि विद्यालयों में शिक्षण कार्यों को सुव्यवस्थित तथा अनुशासित बनाए रखने के लिए प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों पर परीक्षा का आयोजन जल्द से जल्द किया जाना आवश्यक है।

लोकसभा सदस्य त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि पदोन्नति परीक्षा के लिए 2900 पदों की विज्ञप्ति भी निकाली गई है और चयन सेवा आयोग की विज्ञप्ति के अनुसार शिक्षकों ने आवेदन भी किये हैं। शिक्षण कार्यों को व्यवस्थित बनाने के मद्देनजर इन पदों पर भर्ती को लेकर सरकार को तत्काल निर्णय लेना चाहिए। राज्यसभा सदस्य महेंद्र भट्ट ने कहा कि नियमावली के अनुसार सीमित विभागीय पदोन्नति परीक्षा संबंधित कार्यवाही करने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए। विधायक उमेश कुमार ने कहा कि यदि 50 प्रतिशत पदों पर लोक सेवा आयोग के जरिए पदोन्नति की भर्ती प्रक्रिया का काम जल्द पूरा हो जाता है तो यह राजकीय शिक्षा व्यवस्था में मील का पत्थर साबित होगा।

विधायक सविता कपूर ने कहा कि यदि लोकसेवा आयोग के माध्यम से पदों पर भर्ती होती है तो इससे दीर्घकाल तक सेवा दे चुके शिक्षकों को योग्यतानुसार आगे बढने के अवसर मिलेंगे और शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। इधर शिक्षकों के संगठन राजकीय शिक्षक संघ का कहना है कि इस बारे में सरकार से बार बार अनुरोध किया गया है लेकिन उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है इसलिए उन्होंने विभिन्न जनप्रतिनिधियों से मिलकर उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया है।

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