मुंबई , अक्टूबर 08 -- बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि उनके विदेश यात्रा के अनुरोध वाली याचिका पर तभी विचार किया जाएगा जब वे 60 करोड़ रुपये जमा करेंगे जो उनके खिलाफ धोखाधड़ी के मामले की राशि है।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ शिल्पा शेट्टी और उनके पति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पुलिस द्वारा उनके खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) को निलंबित करने की मांग की गई थी जिससे वे अपनी व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं एवं छुट्टियों के लिए विदेश यात्रा कर सकें।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि जब दोनों धोखाधड़ी एवं जालसाजी के मामले में आरोपी हैं तो उन्हें अवकाश यात्राओं की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस पर दंपति के वकील ने तर्क दिया कि फुकेत की यात्रा केवल अवकाश के लिए है लेकिन बाकी सभी यात्राएं पेशेवर काम के लिए है।उनके वकील ने आगे कहा कि दंपति ने जांच में सहयोग किया है और पूछताछ के लिए भी पेश हुए हैं। जिसके बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि उनके सहयोग के कारण ही उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया है।

पीठ ने शिल्पा को जिन पेशेवर कार्यक्रमों में शामिल होना है उनके निमंत्रण पत्र या अन्य प्रकार के संचार की प्रति पेश करने के लिए कहा। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की एक टीम ने मामले की जांच के अंतर्गत पहले दंपति का बयान दर्ज किया था और अभिनेत्री और उनके पति के खिलाफ एलओसी जारी किया था।

लोटस कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज के 60 वर्षीय निदेशक दीपक कोठारी की शिकायत के आधार पर यह मामला सबसे पहले 14 अगस्त, 2025 को जुहू पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया।कोठारी ने आरोप लगाया कि 2015 और 2023 के बीच, उन्हें इस जोड़े ने उनके अब बंद हो चुके कंपनी बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े लोन-कम-निवेश सौदे में 60.48 करोड़ रुपए का धोखा दिया।

एफआईआर के अनुसार, कोठारी को 2015 में मध्यस्थ राजेश आर्य ने सेलिब्रिटी जोड़े से मिलवाया था जिन्होंने राज और शिल्पा की कंपनी से परिचित होने का दावा करते हुए कोठारी के कार्यालय से संपर्क किया था। श्री आर्य ने शुरू में कंपनी के लिए 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर 75 करोड़ रुपये का ऋण मांगा था। कंपनी एक ऑनलाइन शॉपिंग और होम रिटेल प्लेटफॉर्म थी जो जीवनशैली, फैशन, घर, स्वास्थ्य और सौंदर्य उत्पादों का कारोबार करता थी।

बाद में उच्च कर से बचने के लिए इस कथित ऋण को निवेश में बदल दिया गया और कोठारी को मासिक रिटर्न और मूल राशि की अदायगी का वादा किया गया। अप्रैल 2015 और मार्च 2016 के बीच, कोठारी ने शेयर समझौते के अंतर्गत 31.95 करोड़ रुपये और एक पूरक समझौते के तहत 28.53 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए, कुल मिलाकर 60.48 करोड़ रुपये और स्टांप शुल्क के रूप में 3.19 लाख रुपये दिए। सभी धनराशि कथित रूप से बेस्ट डील टीवी के एचडीएफसी बैंक खातों में जमा की गई। उस दौरान शिल्पा के पास कंपनी की लगभग 87.61 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जबकि राज भी कंपनी में निदेशक थे।

अप्रैल 2016 में, शिल्पा ने श्री कोठारी को एक लिखित व्यक्तिगत गारंटी दी जिसमें पैसा 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने की बात की गई, जिससे कंपनी निदेशक की भूमिका से परे वह व्यक्तिगत रूप से ऋण के लिए उत्तरदायी बन गईं। हालांकि, सितंबर 2016 में शिल्पा ने श्री कोठारी को सूचित किए बिना कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया जिससे शिकायतकर्ता को झटका लगा।

श्री कोठारी को बाद में पता चला कि कंपनी को हीना प्रकाश देसाई की एस्थेटिक सॉल्यूशंस द्वारा दायर 1.28 करोड़ रुपये की दिवालियापन का सामना करना रही थी। यह दिवालियापन का मामला दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 की धारा नौ के अंतर्गत दायर किया गया था और मई 2017 में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण, मुंबई द्वारा स्वीकार किया गया था।

कंपनी के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही कई वर्षों तक चली और एनसीएलटी मुंबई में कई सुनवाइयों के साथ यह कार्यवाही जारी रही। नवंबर 2024 तक संबंधित कार्यवाही जारी रही और अंततः समाधान के असफल प्रयासों के बाद कंपनी दिवालियापन में चली गई।

चूंकि विवादित राशि 10 करोड़ रुपये से अधिक थी इसलिए जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई। प्रारंभिक जांच के बाद, आर्थिक अपराध शाखा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 403 (संपत्ति की बेईमानी से हेराफेरी), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 34 (शेट्टी, कुंद्रा और एक अन्य व्यक्ति के विरुद्ध समान इरादा) के अंतर्गत मामला दर्ज किया।

श्री कोठारी ने शिकायत में आरोप लगाया कि वादे के विपरित धनराशि को व्यवसाय विस्तार के बजाय निजी खर्चों में लगाया गया। धन की वसूली के उनके बार-बार के प्रयास कोविड-19 महामारी के दौरान और भी जटिल और विलंबित हो गए जिससे भुगतान न करने की अवधि और लंबी हो गई।

दंपति के वकील प्रशांत पाटिल ने सभी आरोपों को निराधार एवं दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया और कहा कि मामला पूर्णतया सिविल प्रकृति का है और इस पर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण मुंबई द्वारा चार अक्टूबर, 2024 को पहले ही निर्णय दिया जा चुका है।

उनके वकील के अनुसार, यह मामला एक पुराने व्यापारिक लेन-देन से संबंधित है जिसमें कंपनी वित्तीय संकट में चली गई थी और एनसीएलटी में लंबी कानूनी लड़ाई में उलझी रही थी। बचाव पक्ष ने कहा कि उनके ऑडिटरों ने विस्तृत नकदी प्रवाह विवरण सहित सभी सहायक दस्तावेज़ जांच एजेंसियों को उपलब्ध करा दिए हैं। उन्होंने दावा किया कि इसमें कोई आपराधिक मामला नहीं है और वे अपने मुवक्किलों को बदनाम करने की कोशिशों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं।

कानूनी परेशानियों के बीच, शिल्पा ने अपने प्रसिद्ध रेस्तरां बास्टियन बांद्रा को बंद करने की घोषणा की है जिसे 2016 में शुरू किया गया था और यह बॉलीवुड हस्तियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ था।

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