नयी दिल्ली , नवंबर 19 -- उच्चतम न्यायालय ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता आर्मस्ट्रांग की हत्या की जाँच का काम केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है।
अदालत ने तमिलनाडु सरकार की एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। इस याचिका में पुलिस के आरोपपत्र को रद्द करने और सीबीआई जाँच का निर्देश देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा कि हालांकि उच्चतम न्यायालय ने 10 अक्टूबर को आरोपपत्र रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी, लेकिन उसने सीबीआई जाँच पर रोक नहीं लगाई थी।
तमिलनाडु पुलिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने बुधवार को दलील दी कि उच्च न्यायालय ने 7,400 पृष्ठों के विस्तृत आरोपपत्र को सरसरी तौर पर खारिज कर दिया था और इस बात पर ज़ोर दिया था कि पूरा दस्तावेज़ी रिकॉर्ड पहले ही साझा किया जा चुका है।
श्री लूथरा ने इन आरोपों का खंडन किया कि राज्य पुलिस ने सीबीआई को रिकॉर्ड सौंपने से इनकार कर दिया था और कहा कि राज्य ने बाद में उच्चतम न्यायालय के पहले के आदेश में संशोधन के लिए एक आवेदन दायर किया था।
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि राज्य ने शुरू में सीबीआई जाँच पर रोक लगाने की माँग नहीं की थी और राहत केवल उस समय के मांग के अनुसार ही दी गई थी।
पीठ ने इन दलीलों पर विचार करते हुए कहा कि वह पहले के आदेश में संशोधन करने के लिए इच्छुक है और इसलिए जाँच सीबीआई को सौंपने के निर्देश पर रोक लगा दी।
आर्मस्ट्रांग की पत्नी पोरकोडी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत ने राज्य पुलिस की याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि पुलिस ने अदालत में निष्पक्ष ढंग से बात नहीं रखी है और वह अभी भी जाँच के कागजात सीबीआई को हस्तांतरित करने में विफल रही है।
श्रीमती पोरकोडी ने भी सीबीआई जाँच का समर्थन करते हुए एक आवेदन दायर किया है, जबकि श्री आर्मस्ट्रांग के भाई ने इस मामले से संबंधित एक अवमानना याचिका अलग से दायर की है।
पीठ ने हालांकि कहा कि वह इस समय अवमानना याचिका पर सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं है।
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने टिप्पणी की कि सभी मामलों में सीबीआई जाँच का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए और कहा, "सीबीआई ही क्यों? न्यायालय ने कहा है कि सभी मामलों की जाँच सीबीआई को नहीं सौंपी जानी चाहिए। हमारे पास इतनी एजेंसियाँ नहीं हैं।"मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने 24 सितंबर के आदेश में कहा था कि राज्य पुलिस की जाँच प्रक्रियागत खामियों और विरोधाभासों से ग्रस्त है, जिसके कारण जाँच को स्थानांतरित किया जाना आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि श्री आर्मस्ट्रांग की पांच जुलाई, 2024 को चेन्नई के पेरम्बूर स्थित उनके आवास के बाहर सशस्त्र हमलावरों के एक समूह ने बेरहमी से हत्या कर दी थी।
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