नयी दिल्ली , अक्टूबर 17 -- केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) के महानिदेशक प्रोफेसर (वैद्य) रबीनारायण आचार्य ने आइसलैंड के रेक्जाविक में आयोजित तीन दिवसीय आर्कटिक सर्कल असेंबली-2025 में (16 से 18 अक्टूबर) आयुष जागरूकता को शामिल करने की पहल की। उन्होंने वैश्विक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की बढ़ती प्रासंगिकता और आर्कटिक जैसे चरम इकोसिस्टम में भी स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में आयुष हस्तक्षेपों की क्षमता पर भी प्रकाश डाला।

आर्कटिक सर्कल असेंबली-2025 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में श्री आचार्य के साथ आयुष मंत्रालय के संयुक्त सलाहकार (होम्योपैथी) डॉ. श्रीनिवास राव चिंता ने भी भाग लिया।

श्री आचार्य ने "आर्कटिक में ग्लोबल साउथ की भूमिका और महत्व" शीर्षक वाले सत्र में अपनी व्यापक आर्कटिक नीति के अंतर्गत आर्कटिक क्षेत्र में भारत की सक्रिय भागीदारी पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने अपने संबोधन में पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और आर्कटिक अनुसंधान के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने आर्कटिक परिवेश में बहु-विषयक अवधारणा-सिद्धांत नैदानिक परीक्षणों की शुरुआत, आर्कटिक नीति संरचना के अंतर्गत एक संयुक्त अनुसंधान संघ की स्थापना, और अंतर-सांस्कृतिक आयुष वितरण एवं सुरक्षा निगरानी में क्षमता विकास का प्रस्ताव रखा। उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा के बीच सेतु बनाने के लिए ठोस वैज्ञानिक प्रमाण प्रकाशित करने की आवश्यकता पर बल दिया और भारत की आर्कटिक आउटरीच डिप्लोमेसी में आयुष जागरूकता को शामिल करने की वकालत की।

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