देहरादून , नवम्बर 22 -- राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने शनिवार को बेरोजगारों और उपनल कर्मियों को आपस में उलझने की बजाय अपनी मांग को सरकार के सामने मुखरता से रखनने की अपील की।

श्री सेमवाल ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को उन साजिशों से सतर्क रहने की आवश्यकता है, जो बेरोजगारों को और उपनल कर्मियों को आपस में उलझाना चाहती है। उन्होंने कहा कि जिन पदों पर उपनल कर्मी तैनात हैं, उसके अलावा भी विभागों में सैकड़ों अन्य पद रिक्त हैं, लेकिन सरकार उन पर भर्तियां नहीं निकाल रही है। उन्होंने राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी लगातार रिक्त पदों को भरने की मांग कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार को रोस्टर बनाकर सेवा में लगातार 10 साल पूरे करने वाले कार्मिकों को नियमित कर देना चाहिए और उससे पहले समान कार्य समान वेतन लागू कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा न करके सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि उपनल कर्मियों का मुद्दा सिर्फ राज्य का नहीं, बल्कि देशभर में ठेके लिये गये, संविदा और अस्थायी कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि देश में लाखों संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी सरकारी व्यवस्थाएँ चलाते हैं। स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा, आपदा प्रबंधन से लेकर प्रशासन, हर जगह इन्हीं पर सिस्टम खड़ा है।

श्री सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड में उपनल कर्मी पिछले 10-15 सालों से भूमिकाओं में काम कर रहे हैं, लेकिन राज्य को खड़ा करने वाले इन लोगों को स्थायित्व और नियमितीकरण तक नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि आज हजारों उपनलकर्मी सड़क पर हैं। यह सिर्फ एक धरना नहीं, यह उस मेहनतकश वर्ग का दर्द है, जिसने राज्य को संभाला, पर बदले में असुरक्षा मिली, अन्याय मिला और राजनीति मिली। उन्होंने कहा कि सच यह है कि चाहे वह किसी भी पार्टी की रही हो सभी ने कर्मचारियों से उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया, लेकिन पूरा नहीं किया। समितियां बनीं, रिपोर्टें दबीं, फाइलें घूमीं, लेकिन न्याय कभी जमीन पर नहीं उतरा।

इस दौरान राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि अदालतें बार-बार कह चुकी हैं कि समान काम, समान वेतन और सेवा स्थिरता संवैधानिक अधिकार है। कई मामलों में उपनल कर्मी सर्वोच्च न्यायालय तक जीत चुके हैं। इसके बावजूद नियमितीकरण पर ठोस कदम न उठाना श्रमिकों के साथ दोहरी नीति जैसा है। उन्होंने कहा कि जिस नर्सिंग भर्ती को बहाल किया गया, वह इसलिए बहाल हुई क्योंकि दशकों से आउटसोर्सिंग में सेवा दे रहे नर्सिंग स्टाफ के अनुभव को 'मान्य' माना गया। उन्होंने सवाल किया कि क्या दो तरह के 'अनुभव' बनाए जा सकते हैं? क्योंकि न्याय की परिभाषा सबके लिए समान होती है।

इस दौरान, पार्टी के वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ अध्यक्ष योगेश ईष्टवाल, सैनिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष भगवती प्रसाद नौटियाल, महानगर अध्यक्ष नवीन पंत, सुशीला पटवाल, सैनिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष भगवती प्रसाद गोस्वामी आदि तमाम लोग मौजूद थे।

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