रांची , नवम्बर 14 -- झारखंड की समृद्ध और प्राचीन भाषा मुंडारी अब वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है।

जनजातीय भाषा संरक्षण और डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 'आदिवाणी ऐप' को गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च किया गया है। यह ऐप न केवल झारखंड की भाषा-संस्कृति को नई पहचान दिला रहा है, बल्कि देश की अन्य जनजातीय भाषाओं को भी आधुनिक तकनीक से जोड़ने का माध्यम बन रहा है।

'आदिवाणी ऐप' की सबसे खास बात यह है कि इसमें हिंदी, अंग्रेजी, संथाली, गोंडी, भीली और मुंडारी भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध है। उपयोगकर्ता किसी भी शब्द, वाक्य या पूरे टेक्स्ट को हिंदी से मुंडारी या संथाली में और विपरीत रूप से अनुवाद कर सकते हैं। इस सुविधा से भाषा सीखने वालों, छात्रों, शोधकर्ताओं और जनजातीय समुदायों के लिए सीखने की प्रक्रिया बेहद आसान हो गई है।

अब मुंडारी-संथाली भाषाई क्षेत्रों के छात्र अपनी मातृभाषा को मोबाइल पर इंटरैक्टिव तरीके से सीख सकेंगे। स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थियों के लिए यह ऐप एक डिजिटल शिक्षक की तरह काम करेगा। यह मातृभाषा के प्रति समझ और जुड़ाव को गहरा करेगा, जिससे जनजातीय युवाओं में भाषाई गौरव की भावना भी मजबूत होगी।

मुंडारी भाषा झारखंड की प्रमुख जनजातीय भाषाओं में से एक है, जिसकी अपनी विशिष्ट लिपि, बोली और सांस्कृतिक परंपरा है। अब यह भाषा तकनीक के सहारे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो गई है। 'आदिवाणी ऐप' जनजातीय भाषाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल साबित हो रही है।

इस परियोजना को भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ओडिशा, झारखंड समेत कई अन्य राज्यों में लागू किया है। मुंडारी भाषा के डेटा संकलन और अनुवाद संबंधी तकनीकी प्रक्रिया में डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान, रांची की विशेषज्ञ टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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