पटना , अक्टूबर 08 -- बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही भारत निर्वाचन आयोग ने पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता के तत्काल प्रभाव से लागू होने की घोषणा कर दी है।

यह संहिता न केवल राज्य सरकार, बल्कि बिहार से संबंधित किसी भी केंद्रीय सरकारी घोषणा या नीति निर्णय पर भी लागू होगी।

निर्वाचन आयोग ने मुख्य सचिव और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को निर्देश दिये हैं कि वे सरकारी, सार्वजनिक और निजी संपत्तियों से चुनावी पोस्टर, बैनर और झंडे हटवायें। बिना अनुमति के किसी भी दीवार, भवन या ज़मीन पर चुनावी प्रचार सामग्री लगाना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।

इसके अलावा किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी या चुनाव से जुड़े व्यक्ति द्वारा सरकारी वाहनों, सरकारी आवास या अन्य संसाधनों का दुरुपयोग सख्त वर्जित है। चुनाव प्रचार के लिये सरकारी खर्चे पर कोई विज्ञापन जारी नहीं किया जा सकता।

निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी नागरिक के निजी निवास के बाहर प्रदर्शन या धरना देना पूरी तरह से निषिद्ध होगा। नागरिकों की निजता का पूर्ण सम्मान किया जाना चाहिये।

आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के लिये आयोग ने 24 घंटे कार्यरत एक कॉल सेंटर (1950) और सी- विजिल ऐप को सक्रिय कर दिया है। राज्यभर में 824 फ्लाइंग स्क्वॉड तैनात किये गये हैं, जो किसी भी शिकायत पर 100 मिनट के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।

राजनीतिक दलों को किसी भी जनसभा या जुलूस से पहले पुलिस को सूचित करना अनिवार्य होगा, ताकि सुरक्षा और यातायात के उचित प्रबंध किये जा सकें। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के लिये भी पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। किसी भी मंत्री को अपने सरकारी कार्यों को चुनाव प्रचार के साथ मिलाने की अनुमति नहीं होगी। सरकारी मशीनरी, वाहन या कर्मचारी चुनाव प्रचार में नहीं लगाये जा सकते हैं।

चुनाव से जुड़े सभी अधिकारियों को निष्पक्षता से काम करने और सभी दलों को समान अवसर देने का निर्देश दिया गया है। किसी भी तरह का पक्षपात या सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। साथ ही चुनाव से जुड़े अधिकारियों का तबादला अब प्रतिबंधित रहेगा।

राजनीतिक दलों को सार्वजनिक मैदानों और हेलीपैड जैसे स्थानों के उपयोग के लिये सुविधा पोर्टल (इसीआईनेट) के माध्यम से आवेदन करना होगा। ये स्थान 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर समान शर्तों पर सभी को उपलब्ध कराये जाएंगे।

निर्वाचन आयोग ने दोहराया है कि स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। आयोग ने सभी नागरिकों और राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की है, जिससे बिहार में लोकतंत्र का यह महापर्व गरिमा और शांति के साथ संपन्न हो।

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