रांची , नवम्बर 06 -- झारखंड सरकार ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण नीति के तहत आर्थिक सहायता दिलाकर नक्सलवाद समाप्ति की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

सरकारी विभागों की ओर से जारी आदेश के अनुसार, 23 आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता राशि प्रदान की गई है। यह सहायता सरकार की ओर से नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्रों में पुनर्वास और शांति स्थापित करने के प्रयास का हिस्सा है।

झारखंड में पिछले कुछ वर्षों में नक्सलवाद पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया है। सरकार की विविध नीतियों और प्रयासों के कारण नक्सलवाद की समस्या अब 95 प्रतिशत तक कम हो चुकी है। राज्य के पांच जिले-गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम-अब भी नक्सल प्रभावित हैं। हालांकि, पूरे भारत के 5 राज्यों के 12 सबसे नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में झारखंड से केवल पश्चिमी सिंहभूम जिला शामिल है, जो राज्य में नक्सलवाद मुक्ति की उपलब्धि को दर्शाता है।

आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों को दी गई सहायता राशि इस प्रकार है:उम्रेश यादव को 2 लाख रुपये, जीवन कंडुलना को 2.30 लाख, बोयदा पाहन, बिरसा मुंडू, गोंदा पाहन, गोपाल गंझू, बिरसा मुंडा और कारगिल यादव को 30-30 हजार रुपये का भुगतान हुआ है। वहीं, संतोष गंझु को 1.18 लाख, राहुल गंझु और मनेश्वर गंझु को 1.07 लाख रुपये दिए गए हैं। विनोद दास और गणेश लोहरा को सर्वाधिक 3 लाख रुपये की राशि मिली है। तिलकमेन साहू, ललित बड़ाइक, राजो सिंह, दीपक मांझी, सियोजन टोपनो, कमल सिंह, महेश्वर सिंह, संतोष सिंह, विनोद मुंडा और आकाश सिंह को 2.50-2.50 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई है।

यह आर्थिक सहायता नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनः सामाजिक जीवन में समायोजित करने का एक प्रयास है। सरकार का दावा है कि इस नीति और कार्यक्रम के कारण झारखंड नक्सलवाद से लगभग मुक्त हो चुका है।

इसके साथ ही राज्य के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने भी नक्सलियों के पुनर्वास के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई हैं, जिससे वे मुख्यधारा में लौट सकें और विकास कार्यों में भाग ले सकें। यह कदम ना केवल सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक उन्नति में भी सहायक होगा।

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